इस्लामाबाद की राजनीतिक गलियों में इन दिनों एक चिंता स्पष्ट सुनाई दे रही है—पाकिस्तान की सुरक्षा स्थिति लगातार बिगड़ रही है और इसका दबाव अब सरकार खुले तौर पर स्वीकार कर रही है। पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने शनिवार को अपनी सेना पर बढ़ते हमलों को लेकर गहरी बेचैनी व्यक्त की। उनका कहना है कि अफगानिस्तान में 2021 में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद पाकिस्तान को अभूतपूर्व नुकसान झेलना पड़ा है।
4,000 सैनिकों की मौत, 20,000 से अधिक घायल
डार के अनुसार, पिछले चार वर्षों में पाकिस्तान आर्मी के करीब 4,000 सैनिक मारे जा चुके हैं, जबकि 20,000 से ज्यादा जवान घायल हुए हैं। उन्होंने इसे पाकिस्तान के लिए “असहनीय क्षति” बताया और कहा कि तालिबान शासन को पाकिस्तान-विरोधी गुटों, खासकर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP), के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए।
अफगान सीमा से घुसपैठ कर रहे TTP लड़ाके
डार ने कहा कि TTP के आतंकवादी अफगानिस्तान की सीमा से घुसकर पाकिस्तान में लगातार आतंकी वारदातें अंजाम दे रहे हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी दावा किया कि तालिबान सरकार ने पाकिस्तान की मांग पर कुछ हद तक कार्रवाई की है और सैकड़ों TTP लड़ाकों को पकड़ा है। इसके बावजूद हमलों की रफ्तार में कमी नहीं आई है।
सुरक्षा कारणों से बॉर्डर बंद
अफगानिस्तान से आने वाले सुरक्षा खतरे के चलते पाकिस्तान ने हाल ही में सीमा बंद करने का फैसला लिया था। डार ने कहा कि इस कदम के पीछे केवल एक ही मंशा है—अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल पाकिस्तान विरोधी गतिविधियों के लिए न हो। उन्होंने बताया कि “कुछ घटनाओं” ने पाकिस्तान को मजबूर किया कि वह कठोर निर्णय ले।
कतर ने रोका सैन्य अभियान
डार ने खुलासा किया कि पिछले महीने पाकिस्तान अफगानिस्तान के खिलाफ एक सैन्य कार्रवाई करने वाला था, लेकिन कतर के हस्तक्षेप के कारण इस ऑपरेशन को रोक दिया गया। कतर ने तत्काल मध्यस्थता की पेशकश की और पाकिस्तान ने इसकी इज्जत रखते हुए हमला रोक दिया।
हालांकि, उनके अनुसार यह मध्यस्थता सार्थक नतीजे नहीं दे सकी। डार ने दोहराया कि पाकिस्तान क्षेत्र में शांति चाहता है और उसने अफगान तालिबान से अपनी नीति पर पुनर्विचार की अपील की है, ताकि दोनों देशों के बीच तनाव कम हो और स्थिरता का रास्ता खुले।
