npx -p @lhci/cli lhci collect --url https://example.com -n 5 npx -p @lhci/cli lhci upload --target filesystem --outputDir ./path/to/dump/reports const fs = require('fs'); const lhciManifest = require('./path/to/dump/reports/manifest.json'); const medianEntry = lhciManifest.find(entry => entry.isRepresentativeRun) const medianResult = JSON.parse(fs.readFileSync(medianEntry.jsonPath, 'utf-8')); console.log('Median performance score was', medianResult.categories.performance.score * 100); npx -p @lhci/cli lhci collect --url https://example.com -n 5 --mode psi --psiApiKey xXxXxXx npx -p @lhci/cli lhci upload --target filesystem --outputDir ./path/to/dump/reports सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भाकपा (माले) लिबरेशन का बयान: "बिहार में मताधिकार पर मंडरा रहा बड़ा खतरा"

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भाकपा (माले) लिबरेशन का बयान: "बिहार में मताधिकार पर मंडरा रहा बड़ा खतरा"

Satveer Singh
0
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भाकपा (माले) लिबरेशन का बयान: "बिहार में मताधिकार पर मंडरा रहा बड़ा खतरा"

पटना । बिहार में चल रहे ‘विशेष गहन पुनरीक्षण’ अभियान को लेकर सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश पर भाकपा (माले) लिबरेशन ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने बयान जारी कर कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस अभियान से जुड़ी संवैधानिक और व्यावहारिक खामियों को गंभीरता से संज्ञान में लिया है और इससे मतदाताओं को हो रही परेशानियों को भी स्वीकार किया है।

भट्टाचार्य ने कहा कि कोर्ट का यह आदेश उन आशंकाओं की पुष्टि करता है, जिन्हें लेकर मतदाता और सामाजिक संगठन लगातार सवाल उठा रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को "न्याय के हित में" आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड जैसे आम दस्तावेजों को पहचान हेतु स्वीकारने की सलाह दी है, जो ज़मीनी स्तर पर हर मतदाता की प्रमुख मांग रही है।

उन्होंने कहा कि इस अभियान की प्रक्रिया में भारी अव्यवस्था है। अधिकांश मतदाता जिन्हें फार्म भरने के बाद कोई पावती नहीं दी गई, वे यह भी साबित नहीं कर सकते कि उन्होंने अपना आवेदन जमा किया है। प्रवासी मजदूरों, विशेषकर विदेश में काम करने वालों और आपात स्थितियों में बाहर गए लोगों के लिए आवेदन देना लगभग असंभव हो गया है। इससे उनके मताधिकार छिनने का खतरा उत्पन्न हो गया है।

इसके अलावा निवास और जाति प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेजों की अनिवार्यता ने आम नागरिकों को भारी संकट में डाल दिया है। यदि कोई दस्तावेज़ नहीं दे पाता तो ERO (इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर) को मनमाने ढंग से फैसला करने की छूट दे दी गई है, जिससे व्यापक स्तर पर भेदभाव और गलत तरीके से नाम हटाने की आशंका प्रबल हो गई है।

भाकपा (माले) महासचिव ने कहा कि 9 जुलाई को बिहार में हुए चक्का जाम में जनता की व्यापक भागीदारी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि लोग अपने मताधिकार की रक्षा के लिए तैयार हैं। यह केवल तकनीकी या प्रशासनिक मामला नहीं, बल्कि लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों की रक्षा से जुड़ा मुद्दा है।

उन्होंने चेतावनी दी कि यदि मतदाताओं की चिंताओं को गंभीरता से नहीं लिया गया तो भाकपा (माले) पूरे राज्य में जनआंदोलन तेज करेगी।

टॉप पॉइंट्स:

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को दस्तावेजों पर पुनर्विचार की सलाह दी

फार्म भरने के बाद पावती नहीं मिलने से मतदाता असमंजस में

प्रवासी मजदूरों और सामान्य नागरिकों के सामने दस्तावेज़ जुटाना बड़ी चुनौती

ERO को मनमाना निर्णय लेने की छूट पर सवाल

भाकपा (माले) ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी

---

#वोटबंदी #BiharVoterList #DipankarBhattacharya #CPIML #SupremeCourt #ElectionCommission #DemocracyInDanger #ERO #BiharNews #RTIBiharNews


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(2)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Out
Ok, Go it!
To Top