पेट के हल्के दर्द को न करें नजरअंदाज, हो सकता है आंतों के संक्रमण का संकेत
कब होता है आंतों का संक्रमण?
आंतों का संक्रमण तब होता है जब बैक्टीरिया, वायरस या फंगस छोटी या बड़ी आंत में तेजी से बढ़ने लगते हैं। इसके लक्षण धीरे-धीरे सामने आते हैं, जिनमें पेट दर्द, पाचन में गड़बड़ी, कब्ज या दस्त, उल्टी, बुखार, कमजोरी और कभी-कभी हार्मोन असंतुलन भी शामिल है। कई मामलों में लोग इन लक्षणों को सामान्य समझकर दवाइयों से दबाने की कोशिश करते हैं, जबकि समस्या अंदर ही अंदर बढ़ती रहती है। गंभीर स्थिति में आंतों में कीड़े भी पड़ सकते हैं, जिससे शरीर बेहद कमजोर हो जाता है।
आंतों में संक्रमण होने के मुख्य कारण
आंतों के संक्रमण के पीछे कई वजहें हो सकती हैं, जैसे:
- गंदा पानी या दूषित भोजन का सेवन
- बिना हाथ धोए खाना खाना
- बार-बार एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल
- कमजोर पाचन तंत्र
- अत्यधिक जंक फूड और तला-भुना भोजन
- ज्यादा तनाव लेना
ये कारण आम लग सकते हैं, लेकिन लंबे समय तक नजरअंदाज करने पर ये गंभीर बीमारी का रूप ले सकते हैं।
आंतों के लिए दूध और छाछ क्यों हैं फायदेमंद?
आयुर्वेद में आंतों की देखभाल के लिए छाछ को औषधि के समान माना गया है। रोजाना दोपहर के समय छाछ का सेवन करने से पाचन मजबूत होता है। इसमें हींग और जीरा मिलाकर पीने से आंतों में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया खत्म होते हैं।
वहीं, दूध के साथ हल्दी का सेवन आंतों की सूजन को कम करता है और उन्हें साफ रखने में मदद करता है। हल्दी में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण शरीर की अंदरूनी सूजन को कम करते हैं।
आयुर्वेदिक उपाय जो आंतों को रखें स्वस्थ
- अनार का रस: यह आंतों के संक्रमण को नियंत्रित करने में मदद करता है। दस्त की समस्या होने पर अनार का सेवन बेहद लाभकारी माना जाता है।
- बेल का जूस: आयुर्वेद में बेल को अतिसार नाशक कहा गया है। गर्मियों में बेल का जूस आंतों को ठंडक देकर उन्हें साफ करता है।
- त्रिफला चूर्ण: घर पर बना त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लेने से आंतों की अच्छी सफाई होती है और संक्रमण का खतरा कम होता है।
डिस्क्लेमर
यह लेख सामान्य जानकारी पर आधारित है। किसी भी गंभीर लक्षण या लंबे समय तक पेट दर्द की समस्या होने पर डॉक्टर या विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।