Interest Rates: 30 साल बाद जापान की बड़ी चाल, पूरी दुनिया के बाजार अलर्ट मोड में
नई दिल्ली। ग्लोबल फाइनेंशियल मार्केट्स के लिए शुक्रवार की सुबह बेहद अहम साबित हुई, जब Bank of Japan (BoJ) ने करीब 30 साल बाद ब्याज दरों को सबसे ऊंचे स्तर तक बढ़ाने का फैसला किया। केंद्रीय बैंक ने ओवरनाइट कॉल रेट्स में 25 बेसिस पॉइंट्स की बढ़ोतरी करते हुए इसे 0.75% कर दिया है। यह कदम सिर्फ जापान तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका असर भारत समेत पूरी दुनिया के शेयर बाजार, बॉन्ड, करेंसी और कैपिटल फ्लो पर साफ दिखाई देगा।
दरअसल, निवेशकों की नजर सिर्फ ब्याज दर बढ़ोतरी पर नहीं, बल्कि BOJ के आगे के संकेतों (Forward Guidance) पर टिकी हुई है, क्योंकि यही तय करेगा कि आने वाले महीनों में ग्लोबल बाजार किस दिशा में जाएंगे।
महंगाई बनी सबसे बड़ी वजह
बैंक ऑफ जापान के इस फैसले के पीछे सबसे बड़ी वजह है लगातार ऊंची बनी हुई महंगाई।
जापान में महंगाई पिछले 43 महीनों से सेंट्रल बैंक के टारगेट से ऊपर बनी हुई है। BOJ का मानना है कि अगर इस समय भी नरमी दिखाई गई, तो कीमतों पर नियंत्रण पाना और मुश्किल हो सकता है।
यही कारण है कि कमजोर आर्थिक ग्रोथ के बावजूद बैंक ने ब्याज दरें बढ़ाने का जोखिम उठाया है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह फैसला जापान की मौद्रिक नीति में स्पष्ट सख्ती (Policy Tightening) का संकेत देता है।
नेगेटिव इंटरेस्ट रेट के बाद अगला कदम
गौरतलब है कि बैंक ऑफ जापान ने पिछले साल दुनिया की इकलौती नेगेटिव इंटरेस्ट रेट पॉलिसी को खत्म किया था। इसके साथ ही नीति सामान्यीकरण (Policy Normalization) की शुरुआत हुई थी।
अब मौजूदा रेट हाइक को उसी प्रक्रिया का अगला और निर्णायक चरण माना जा रहा है।
येन और ग्लोबल कैपिटल फ्लो क्यों हैं फोकस में?
ब्याज दरों में बढ़ोतरी का सीधा असर करेंसी पर पड़ता है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि इस फैसले के बाद जापानी येन में मजबूती देखने को मिल सकती है। फिलहाल येन डॉलर के मुकाबले 154–157 के दायरे में ट्रेड कर रहा है और हाल के महीनों में इसमें कमजोरी देखी गई थी।
अगर येन मजबूत होता है, तो इसके कई बड़े नतीजे हो सकते हैं—
- जापान से बाहर गया सस्ता फंड वापस लौट सकता है
- ग्लोबल कैरी ट्रेड पर असर पड़ेगा
- उभरते बाजारों से पूंजी निकासी बढ़ सकती है
भारत समेत अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं में विदेशी निवेशकों का रुख कुछ समय के लिए सतर्क हो सकता है।
असल खेल BOJ के संकेतों का
मार्केट एक्सपर्ट्स मानते हैं कि बाजार की प्रतिक्रिया सिर्फ रेट हाइक पर नहीं, बल्कि BOJ की भाषा और भविष्य के संकेतों पर निर्भर करेगी।
खासतौर पर यह देखा जाएगा कि आगे ब्याज दरें कितनी तेजी से बढ़ाई जा सकती हैं।
BOJ के गवर्नर काजुओ उएडा पहले ही साफ कर चुके हैं कि Neutral Interest Rate का सटीक अनुमान लगाना आसान नहीं है। बैंक इसे 1% से 2.5% के दायरे में मानता है। इसका मतलब साफ है कि आगे की नीति पूरी तरह डेटा, महंगाई और आर्थिक हालात पर निर्भर करेगी।
बॉन्ड मार्केट और सरकार पर बढ़ता दबाव
ब्याज दर बढ़ने का असर जापान के बॉन्ड बाजार पर भी साफ दिखने लगा है।
10 साल के जापानी सरकारी बॉन्ड की यील्ड करीब 1.97% तक पहुंच चुकी है, जो लगभग 18 साल का उच्च स्तर है।
अगर बॉन्ड यील्ड 2.5% तक जाती है, तो—
- जापान सरकार की उधारी लागत तेजी से बढ़ेगी
- 2028 तक ब्याज भुगतान लगभग दोगुना हो सकता है
यह स्थिति ऐसे समय में बन रही है, जब जापान सरकार अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए बड़े स्टिमुलस पैकेज चला रही है।
भारत पर क्या असर पड़ सकता है?
भारत के लिए BOJ का यह फैसला इसलिए भी अहम है क्योंकि—
- विदेशी निवेशक उभरते बाजारों में जोखिम घटा सकते हैं
- रुपये पर दबाव बढ़ सकता है
- बॉन्ड यील्ड और इक्विटी मार्केट में वोलैटिलिटी बढ़ सकती है
हालांकि, भारत की घरेलू अर्थव्यवस्था और ग्रोथ स्टोरी मजबूत बनी हुई है, लेकिन शॉर्ट टर्म में ग्लोबल सेंटिमेंट का असर देखने को मिल सकता है।
निष्कर्ष
शुक्रवार को आया बैंक ऑफ जापान का फैसला सिर्फ जापान के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा संकेत है।
30 साल में सबसे ऊंची ब्याज दरें यह दिखाती हैं कि ग्लोबल फाइनेंशियल सिस्टम अब एक नए फेज में प्रवेश कर चुका है।
अब बाजार की असली परीक्षा BOJ के अगले कदम और उसके शब्दों से होगी—क्योंकि अक्सर फैसलों से ज्यादा असर, फैसलों के बाद बोले गए शब्दों का होता है।