देश सेवा से समाज सेवा तक: अरवल के सच्चे नायक धर्मेंद्र कुमार
अरवल की धरती ने एक बार फिर गर्व से सिर ऊँचा किया है। चर्चित दिल्ली पब्लिक स्कूल, अरवल के प्राचार्य आदरणीय धर्मेंद्र कुमार जी ने यह सिद्ध कर दिया है कि सच्चा नायक वही होता है, जो वर्दी उतारने के बाद भी इंसानियत की सेवा में पूरी निष्ठा से लगा रहता है।
बहुत कम लोग जानते हैं कि धर्मेंद्र कुमार जी भारतीय नौसेना (नेवी) में अधिकारी के रूप में देश की सेवा कर चुके हैं। समुद्र की अथाह लहरों के बीच तिरंगे की शान और देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले इस सपूत ने, सेवा निवृत्ति के बाद भी अपने जीवन का उद्देश्य नहीं बदला—बस देश सेवा का स्वरूप बदलकर समाज सेवा बन गया।
हाल ही में इटवां निवासी, महादलित समुदाय से आने वाले स्वर्गीय जैकी डोम की निर्मम हत्या ने पूरे क्षेत्र को झकझोर दिया। सूअर चराकर अपने परिवार का भरण-पोषण करने वाले जैकी डोम की चार महीने पहले टांगी से काटकर हत्या कर दी गई। इस अमानवीय घटना ने एक मासूम बच्चे से उसके पिता का साया छीन लिया। न सहारा बचा, न भविष्य की कोई राह—चारों ओर सिर्फ अंधेरा था।
उसी अंधकार में धर्मेंद्र सर आशा की किरण बनकर सामने आए। उन्होंने उस अनाथ बच्चे को गोद लेकर न केवल उसे संरक्षण दिया, बल्कि उसकी शिक्षा, पालन-पोषण और पूरे भविष्य की जिम्मेदारी भी स्वयं अपने कंधों पर उठा ली। यह कोई एक उदाहरण नहीं, बल्कि उनकी निरंतर चलती मानवसेवा की कड़ी है।
इससे पहले भी दो दर्जन से अधिक अनाथ और बेसहारा बच्चों को गोद लेकर धर्मेंद्र सर उनकी पढ़ाई-लिखाई, भोजन, वस्त्र और जीवन निर्माण की संपूर्ण जिम्मेदारी निभा चुके हैं। न कोई शोर, न कोई दिखावा—जैसे नौसेना में रहते हुए निस्वार्थ भाव से देश की सेवा की, वैसे ही अब शांत भाव से समाज की सेवा कर रहे हैं।
मृदुभाषी, सरल और करुणामय व्यक्तित्व के धनी धर्मेंद्र कुमार जी अरवल के लिए सिर्फ एक विद्यालय के प्राचार्य नहीं, बल्कि देशभक्ति, संवेदना और मानवता का जीवंत उदाहरण हैं। वे यह सिखाते हैं कि असली राष्ट्र निर्माण भाषणों से नहीं, बल्कि जरूरतमंद के हाथ थामने से होता है।
वे साबित करते हैं कि—
देश सेवा वर्दी से होती है,
और समाज सेवा दिल से।
आज अरवल को ऐसे नायक पर गर्व है,
जो समुद्र की सीमाओं से निकलकर
समाज के सबसे कमजोर किनारों तक
उम्मीद, सम्मान और भविष्य पहुँचा रहा है।