बिहार का भूमि बाज़ार एक नए मोड़ पर खड़ा है—सरकार जनवरी से संशोधित सर्किल रेट (एमवीआर) लागू करने की तैयारी लगभग पूरी कर चुकी है। यह बदलाव सिर्फ कागज़ी गणना नहीं, बल्कि आम लोगों की जेब, रियल एस्टेट की रफ्तार और राजस्व के समीकरण—सभी को नया आकार देने वाला निर्णय माना जा रहा है।
पटना जिले में नगर निगम के सभी 75 वार्डों में जमीन और फ्लैट की नई दरों का पुनर्मूल्यांकन तेज़ी से जारी है। नप क्षेत्रों और ग्रामीण इलाकों की रिपोर्ट भी अंतिम चरण में है। सूत्रों के अनुसार, यदि प्रस्तावित एमवीआर लागू हुआ, तो कई जगहों पर जमीन की रजिस्ट्री तीन गुना तक महंगी हो सकती है। अनुमान है कि 200 से 300 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी तय मानी जा रही है।
जिला निबंधन कार्यालय इलाके-वार रिपोर्ट तैयार कर रहा है, ताकि दरें वास्तविक बाजार स्थितियों का प्रतिबिंब बनें। अधिकारियों का कहना है कि 2013 से सर्किल रेट में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई, जबकि इस दशक में पटना समेत कई लोकेशन की कीमतें कई गुना बढ़ चुकी हैं। सरकार का फोकस उन जगहों पर अधिक है जहां जमीन की खरीद-बिक्री तेज़ है, ताकि राजस्व में ठोस बढ़ावा मिल सके।
नगर निगम क्षेत्रों पर बढ़ेगी मार
वार्डों की सड़कों की लिस्टिंग, लोकेशन, चौड़ाई, विकास स्तर, आधारभूत सुविधाएं—इन सभी मानकों पर नई दरें तय की जा रही हैं। कई पुराने मौजों के पुनर्गठन की भी तैयारी है, जिससे कैटेगरीकरण और स्पष्ट हो सकेगा।
नया एमवीआर चार महत्त्वपूर्ण आधारों पर तैयार किया गया है—
• वर्तमान बाजार मूल्य
• एमवीआर और बाजार दर के अंतर वाले वार्ड
• भूमि वर्गीकरण (2017 मानकों पर)
• औद्योगिक क्षेत्रों के लिए अलग श्रेणी
विभाग प्रतिदिन वार्डवार रिपोर्ट भेज रहा है, और संभावना है कि नया नियम जनवरी या फरवरी तक लागू कर दिया जाएगा।
जैसे ही नया एमवीआर लागू होगा, जमीन की रजिस्ट्री महंगी होने के साथ-साथ निवेश, बिल्डर प्रोजेक्ट, एग्रीमेंट रेट और हाउसिंग मार्केट में भी तेज हलचल देखने को मिलेगी। कुल मिलाकर, नया वर्ष बिहार के रियल एस्टेट सेक्टर को नई करवट देता दिखाई देगा।
