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    अरवल के केयाल पंचायत में ग्राम सभा से गूंजा ‘विकसित भारत 2047’ का संकल्प, ग्रामीण रोजगार गारंटी मिशन 2025 पर हुआ विस्तार से मंथन

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    करपी प्रखंड से पिंटू कुमार की ख़ास रिपोर्ट

    अरवल जिले के करपी प्रखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत केयाल के पंचायत सरकार भवन में शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण ग्राम सभा का आयोजन किया गया। इस ग्राम सभा की अध्यक्षता माननीय मुखिया श्री रामएकवाल साव ने की। बैठक का मुख्य उद्देश्य विकसित भारत – रोजगार और आजीविका के लिए गारंटी मिशन (ग्रामीण) यानी वीबी जी राम जी अधिनियम, 2025 की प्रमुख विशेषताओं, उद्देश्यों और क्रियान्वयन प्रक्रिया पर ग्रामीणों को जानकारी देना था।

    ग्राम सभा में बड़ी संख्या में ग्रामीणों की उपस्थिति ने यह स्पष्ट कर दिया कि ग्रामीण रोजगार, आजीविका और विकास से जुड़े इस नए अधिनियम को लेकर जनता में खासा उत्साह है।


    कौन-कौन रहे मौजूद

    इस अवसर पर पंचायत स्तर के सभी प्रमुख पदाधिकारी एवं जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे, जिनमें—

    • पंचायत सचिव सुमन कुमार विश्वास
    • रोजगार सेवक विनोद कुमार
    • विकास मित्र कुसुम कुमारी
    • स्वच्छता पर्यवेक्षक पिंटू कुमार
    • पंचायत समिति सदस्य रामकुमार राजवंशी
    • सभी स्वच्छता कर्मी
    • सभी वार्ड सदस्य
    • बड़ी संख्या में ग्रामीण महिला एवं पुरुष

    की सक्रिय भागीदारी रही।


    क्या है ‘विकसित भारत – रोजगार और आजीविका के लिए गारंटी मिशन (ग्रामीण)’

    ग्राम सभा में अधिकारियों द्वारा बताया गया कि वीबी जी राम जी अधिनियम, 2025 को विकसित भारत 2047 के राष्ट्रीय विजन के अनुरूप तैयार किया गया है। इसका मुख्य लक्ष्य है—

    • ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर, सशक्त और समृद्ध बनाना
    • ग्रामीण परिवारों को कानूनी रूप से रोजगार की गारंटी देना
    • आजीविका, बुनियादी ढांचे और जल सुरक्षा को मजबूत करना

    इस अधिनियम के तहत हर ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्य को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 125 दिनों की मजदूरी-रोजगार की वैधानिक गारंटी दी जाएगी, जो मौजूदा योजनाओं की तुलना में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।


    किस तरह के होंगे कार्य

    अधिनियम के अंतर्गत शुरू होने वाले सभी कार्य विकसित भारत राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना स्टैक का हिस्सा होंगे। प्राथमिकता दी जाएगी—

    • जल संरक्षण और जल सुरक्षा से जुड़े कार्य
    • ग्रामीण सड़कों, नालियों और अन्य बुनियादी ढांचे
    • आजीविका से जुड़ी अवसंरचना
    • जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने वाले कार्य

    इन कार्यों से न केवल रोजगार मिलेगा, बल्कि गांवों का समग्र विकास भी सुनिश्चित होगा।


    ग्राम पंचायत की भूमिका होगी अहम

    ग्राम सभा में यह भी स्पष्ट किया गया कि इस योजना के क्रियान्वयन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों पर होगी। पंचायतें—

    • श्रमिकों का पंजीकरण करेंगी
    • ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्ड जारी करेंगी
    • कम से कम 50 प्रतिशत कार्यों का निष्पादन स्वयं करेंगी
    • ग्राम सभा के माध्यम से नियमित सामाजिक अंकेक्षण कराया जाएगा

    इससे पारदर्शिता और जवाबदेही दोनों सुनिश्चित होंगी।


    खेती के समय श्रमिक संकट से बचाव का प्रावधान

    किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए अधिनियम में एक महत्वपूर्ण प्रावधान रखा गया है। बुवाई और कटाई के अत्यंत व्यस्त समय के दौरान—

    • राज्य सरकारें 60 दिनों की अवधि अधिसूचित कर सकेंगी
    • इस अवधि में रोजगार गारंटी के कार्य नहीं कराए जाएंगे

    इससे खेती के लिए पर्याप्त कृषि श्रमिक उपलब्ध रहेंगे और किसानों को नुकसान नहीं होगा।


    केंद्र-राज्य के बीच वित्तीय साझेदारी

    इस योजना को केंद्रीय प्रायोजित योजना के रूप में लागू किया जाएगा। वित्तीय साझेदारी इस प्रकार होगी—

    • पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए 90:10
    • अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 60:40

    मानक आधारित आवंटन प्रणाली के तहत राज्यों को फंड मिलेगा, जिससे संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित होगा।


    पारदर्शिता, तकनीक और निगरानी पर जोर

    ग्राम सभा में बताया गया कि योजना में—

    • बायोमीट्रिक प्रमाणीकरण
    • स्पैटियल टेक्नोलॉजी आधारित योजना निर्माण
    • मोबाइल और डैशबोर्ड से निगरानी
    • साप्ताहिक सार्वजनिक जानकारी

    जैसे आधुनिक प्रावधान शामिल हैं। इससे भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी और मजदूरों को समय पर भुगतान सुनिश्चित होगा।


    ग्रामीणों में दिखा भरोसा

    ग्राम सभा के अंत में ग्रामीणों ने इस योजना को ग्रामीण भारत के लिए मील का पत्थर बताया। मुखिया रामएकवाल साव ने कहा कि यह अधिनियम गांवों से मजदूरी के लिए पलायन रोकने में निर्णायक साबित होगा और युवाओं को अपने ही गांव में रोजगार के अवसर मिलेंगे।


    निष्कर्ष

    केयाल पंचायत की यह ग्राम सभा केवल एक औपचारिक बैठक नहीं थी, बल्कि विकसित भारत 2047 के सपने को गांव-गांव तक पहुंचाने की मजबूत पहल थी। अगर यह योजना ज़मीन पर उसी ईमानदारी से लागू होती है, तो आने वाले वर्षों में ग्रामीण रोजगार, आजीविका और विकास की तस्वीर पूरी तरह बदल सकती है

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