पटना। बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद यादव का परिवार इस समय तीन तरफा संकट के बीच घिरा हुआ है—राजनीतिक, पारिवारिक और कानूनी। 2025 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी की करारी हार के बाद पार्टी अभी उभर भी नहीं पाई थी कि रोहिणी आचार्य के विस्फोटक आरोपों ने माहौल को और गर्मा दिया है। रोहिणी ने दावा किया कि उन्हें राबड़ी आवास से अपमानित कर भगा दिया गया, चप्पल दिखाई गई और गंदी गालियां दी गईं। रोहिणी के बाहर निकलते ही उनकी तीनों बहनें भी आवास छोड़कर चली गईं। इस पूरे घटनाक्रम पर लालू, राबड़ी या तेजस्वी की ओर से कोई प्रतिक्रिया न आने से पारिवारिक तनाव खुलकर सामने आ गया है।
चुनावी हार के बाद तेजस्वी यादव की नेतृत्व क्षमता और उनके सलाहकारों—संजय यादव व आईटी सेल प्रभारी रमीज नेमत खान—के रोल पर भी सवाल उठ रहे हैं। रोहिणी ने भी इन्हीं नामों को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। आरजेडी में लंबे समय से चल रही अंदरूनी खींचातानी अब सार्वजनिक हो चुकी है। तेजप्रताप यादव की नाराजगी, मीसा-तेजस्वी के बीच खटास और अब रोहिणी का विरोध—इन सबने पार्टी की साख पर सीधा असर डाला है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि तेजप्रताप को अचानक मिली ‘वाई’ श्रेणी की सुरक्षा किसी बड़े राजनीतिक समीकरण का संकेत है।
इन सबके बीच ‘लैंड फॉर जॉब’ केस का कानूनी संकट भी परिवार पर भारी है। सीबीआई द्वारा दर्ज चार्जशीट और राउस एवेन्यू कोर्ट में जारी सुनवाई के चलते तेजस्वी यादव पर सजा का खतरा मंडरा रहा है। यदि उन्हें दो साल से अधिक की सजा होती है, तो उनकी विधायकी और चुनावी भविष्य दोनों पर ताला लग सकता है।
लालू-राबड़ी परिवार पर एक साथ तीनों संकटों का दबाव है—नेतृत्व पर सवाल, पारिवारिक कलह और कानूनी तलवार। सवाल यह है कि क्या यह विवाद आगे बढ़कर विरासत और संपत्ति के बंटवारे तक पहुंचेगा, या परिवार समय रहते समाधान खोज लेगा? इतना तय है कि आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति और भी उथल-पुथल भरी होने वाली है।
