नई दिल्ली। राजधानी में प्रदूषण का संकट लगातार गहराता जा रहा है। शनिवार को दिल्ली की हवा और भी जहरीली हो गई और कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) गंभीर श्रेणी में पहुंच गया। कई मॉनिटरिंग स्टेशनों पर AQI 400 से ऊपर दर्ज किया गया, जो जनस्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है। बढ़ते खतरे को देखते हुए सरकार और प्रदूषण नियामक एजेंसियों ने त्वरित कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।
कमिशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) ने प्राइवेट ऑफिसेज के लिए नई एडवाइजरी जारी की है। इसके तहत अब राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्थित निजी कार्यालयों को केवल 50% कर्मचारियों के साथ ऑन-साइट ऑपरेशन चलाने की अनुमति दी गई है। शेष कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से वर्क-फ्रॉम-होम की सुविधा दी जाएगी। सरकार का कहना है कि सड़क यातायात घटाने और लोगों को प्रदूषण के प्रतिकूल प्रभावों से बचाने के लिए यह कदम आवश्यक है।
उधर, प्रदूषण की भयावह स्थिति को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। नोएडा और गाजियाबाद में डीजल ऑटोरिक्शा के संचालन पर तत्काल रोक लगा दी गई है। अधिकारियों के अनुसार, NCR में वाहनों से उत्सर्जित धुएं का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है और डीजल चालित ऑटो इस समस्या को गंभीर रूप दे रहे हैं।
इसके अलावा CAQM ने ग्रैप (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) में भी बड़े बदलाव किए हैं। अब केवल तीन चरणों में कार्रवाई होगी और पहले जो कड़े नियम ग्रैप-4 में लागू होते थे, उन्हें अब ग्रैप-3 में शामिल कर दिया गया है। इसका उद्देश्य प्रदूषण नियंत्रण को और तेज और प्रभावी बनाना है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इतने उच्च स्तर के प्रदूषण में बच्चों, बुजुर्गों और सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए बाहर निकलना बेहद जोखिमपूर्ण है। सरकार ने नागरिकों से अनावश्यक यात्रा से बचने और घर से काम करने की अपील की है। आने वाले दिनों में हवा की गुणवत्ता में सुधार होगा या नहीं, यह मौसम की स्थिति और लागू प्रतिबंधों की प्रभावशीलता पर निर्भर करेगा।
