तेज प्रताप के एक्शन से बिहार में सियासी हलचल: प्रेशर पॉलिटिक्स या परिवार में ‘गृहयुद्ध’?

Satveer Singh
0

पटना। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में सबकुछ ठीक नहीं है, यह अब साफ नजर आ रहा है। पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव के हालिया कदमों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। पिछले तीन दिनों में हुए घटनाक्रम ने न सिर्फ आरजेडी के भीतर विवाद को उजागर किया है, बल्कि इसे परिवारिक ‘गृहयुद्ध’ के रूप में भी देखा जा रहा है।

पीएम मोदी के ऑफर पर तेज प्रताप का जवाब
बुधवार को तेज प्रताप यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट डालकर चौंका दिया। उन्होंने लिखा कि उन्हें सपने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी जॉइन करने का ऑफर दिया, लेकिन उन्होंने इनकार करते हुए कहा कि मेरे पास अपनी पार्टी है, आप ही हमारी पार्टी में शामिल हो जाइए। तेज प्रताप ने लिखा – “सत्ता के लिए सपने बेचने वाले बहुत हैं, हम वो हैं जो सपनों में भी विचार नहीं बेचते।”

डिप्टी सीएम से मुलाकात और सियासी सुगबुगाहट
इसी दिन विधानसभा के बाहर तेज प्रताप यादव और बिहार के डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा की मुलाकात का वीडियो वायरल हुआ। तेज प्रताप ने हाथ जोड़कर प्रणाम किया और डिप्टी सीएम ने मुस्कान के साथ उनका अभिवादन करते हुए पीठ थपथपाई। यह घटना उस दिन सामने आई, जब सदन के अंदर विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हो रही थी।

राजद प्रदेश अध्यक्ष का बड़ा बयान
गुरुवार को राजद के प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल ने तेज प्रताप पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “तेज प्रताप यादव का पार्टी में कोई अस्तित्व नहीं है। लालू प्रसाद यादव ने उन्हें छह साल के लिए पार्टी से निकाल दिया है। तेजस्वी यादव के सामने किसी की कोई औकात नहीं है।” टिकट को लेकर तेज प्रताप के बयान पर उन्होंने कहा कि जब वह पार्टी में ही नहीं हैं, तो टिकट कैसे मिलेगा?

सोशल मीडिया पर ‘गृहयुद्ध’ का संकेत
शुक्रवार को तेज प्रताप यादव ने X पर बड़ा कदम उठाते हुए पार्टी और परिवार के 19 में से 16 लोगों को अनफॉलो कर दिया। इसमें उनकी बड़ी बहन मीसा भारती और अन्य बहनें भी शामिल हैं। इस कदम को राजनीतिक विश्लेषक आरजेडी परिवार में बढ़ते विवाद और शक्ति संघर्ष का संकेत मान रहे हैं।

बिहार की सियासत में बढ़ा तापमान
तेज प्रताप यादव के इन कदमों ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि यह केवल सोशल मीडिया की लड़ाई नहीं, बल्कि सत्ता और अस्तित्व की जंग है। आने वाले विधानसभा चुनाव में इसका सीधा असर दिख सकता है।

निष्कर्ष:
आरजेडी के भीतर की यह कलह पार्टी की चुनावी रणनीति और एकजुटता पर बड़ा असर डाल सकती है। अब सबकी निगाहें लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव के अगले कदम पर टिकी हैं।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(2)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Out
Ok, Go it!
To Top