रिपोर्टर: सतवीर सिंह
अरवल: राज्य भर के ग्रामीण आवास कर्मियों ने सेवा मुक्त किए जाने, झूठे एफ.आई.आर., मानदेय वृद्धि की अनदेखी और बिहार मानवाधिकार आयोग के आदेश की अवहेलना के विरोध में 20 जून से प्रतीकात्मक हड़ताल और 21 जून से अनिश्चितकालीन राज्यव्यापी हड़ताल की घोषणा कर दी है।
आवास कर्मियों के संघ ने अपने ज्ञापन में कहा है कि बीते कुछ महीनों में विभाग द्वारा बिना निष्पक्ष जांच के केवल शिकायत या जनप्रतिनिधियों के बयान के आधार पर कर्मियों को सेवा से मुक्त कर एफ.आई.आर. दर्ज कराई जा रही है। इन कार्रवाइयों में तेज़ी से वृद्धि देखी गई है, जिससे कर्मियों के परिवारों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति पर गंभीर असर पड़ा है।
संघ का आरोप है कि अनेक मामलों में स्पष्टीकरण मांगे बिना और जांच पूरी हुए बगैर संविदा समाप्त की जा रही है, जबकि पहले से सेवा मुक्त कर्मियों की अपीलें महीनों से लंबित हैं। ऐसे में कार्यस्थलों पर दबंगों और बिचौलियों द्वारा आवास कर्मियों के साथ दुर्व्यवहार और मारपीट की घटनाएं भी बढ़ रही हैं, जिससे कार्य करना असुरक्षित और असंभव हो गया है।
संघ ने यह भी कहा है कि बिहार मानवाधिकार आयोग, पटना ने चार साल पहले आवास कर्मियों के मानदेय में वृद्धि का निर्देश दिया था, लेकिन अब तक सरकार ने इस पर कोई अमल नहीं किया है। बढ़ती महंगाई में वर्तमान मानदेय पर जीवन-यापन करना कठिन हो गया है।
संघ के राज्य परिषद द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार, 20 जून को प्रतीकात्मक हड़ताल और धरना जिला मुख्यालयों पर किया गया, जबकि 21 जून से राज्य स्तर पर अनिश्चितकालीन हड़ताल और धरना प्रदर्शन शुरू किया गया है।
संघ ने विभाग और सरकार को पहले ही इस आंदोलन की सूचना दे दी थी ताकि समय रहते समाधान निकाला जा सके। लेकिन जब अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तब यह कदम उठाना आवश्यक हो गया।
संघ ने चेतावनी दी है कि यदि मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार नहीं किया गया तो इसकी पूरी ज़िम्मेदारी सरकार और संबंधित विभाग की होगी, और इससे राज्य की महत्वपूर्ण योजनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।