भाकपा माले कार्यालय से विभिन्न मार्ग होते हुए बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के पास बिहार बजट की प्रति जलाई गई।
24-25 के बिहार बजट में भाजपा-जदयू सरकार ने जनता को नजरअंदाज किया, ऐसा दावा भाकपा माले के नेता जितेंद्र यादव ने किया।
जदयू-भा.ज.पा. की सरकार में गरीबों के लिए कुछ नहीं किया, सिर्फ पूंजीपतियों को फायदा हुआ – भाकपा माले
जितेंद्र यादव ने कहा कि बिहार के इस बजट में गरीबों और अन्य जरूरतमंदों के लिए कोई खास कदम नहीं उठाए गए हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्रों में सरकार की योजनाओं का लाभ गरीबों तक पहुंचने के बजाय बजट में कटौती की गई है, जिससे बिहार के गरीब और मध्यवर्गीय लोगों का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इस सरकार के 20 सालों में स्कीम वर्कर्स के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए। जैसे पहले शासक वर्ग गरीबों से कम मजदूरी पर काम करवाता था, ठीक वैसे ही आज भाजपा-जदयू सरकार महिलाओं को दुनिया की सबसे कम मजदूरी देकर काम करा रही है। आशा, रसोईया, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, जीविका दीदी और सफाई मजदूरों को भी सरकार बहुत ही कम पैसे दे रही है, जिसके कारण बिहार में गरीबी की दर बढ़ रही है।
भाकपा माले ने यह भी आरोप लगाया कि महागठबंधन सरकार ने जातीय जनगणना और आर्थिक सर्वे के आधार पर 94 लाख परिवारों को दो-दो लाख रुपये का अनुदान देने का वादा किया था, जिसे भाजपा-जदयू सरकार ने बंद कर दिया है।
उन्होंने कहा कि अस्पतालों में बेहतर इलाज के लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं किया गया है, और जब गरीबों को स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता होती है, तो उन्हें आर्थिक तंगी से जूझना पड़ता है। इसके अलावा, सिंचाई और वन एवं पर्यावरण पर भी कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया है, जिससे आने वाले समय में आम लोग सांस लेने में भी परेशान हो सकते हैं।
भाकपा माले के नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा-जदयू सरकार ने 5 किलो राशन देने का वादा किया था, लेकिन वह भी खराब गुणवत्ता का है, जैसा कि अरवल जिले में चावल की गुणवत्ता से स्पष्ट होता है।
इस अवसर पर भाकपा माले के नेताओं शोएब आलम, रविंदर यादव, उपेंद्र पासवान, नंदकिशोर, विजय पासवान सहित कई अन्य नेता उपस्थित थे।