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    लखनऊ से बड़ी खबर | कफ सिरप सिंडिकेट पर ईडी का शिकंजा

    "लखनऊ से बड़ी खबर | कफ सिरप सिंडिकेट पर ईडी का शिकंजा"

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    जांच एजेंसियों से बचाने के लिए बिहार भेजी गईं लग्जरी गाड़ियां

    लखनऊ। कफ सिरप सिंडिकेट से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के एक बड़े नेटवर्क का खुलासा हुआ है। जांच एजेंसियों से बचने के लिए इस सिंडिकेट से जुड़ी महंगी लग्जरी गाड़ियों को बिहार भेज दिया गया था। ईडी की जांच में सामने आया है कि इन गाड़ियों के जरिए अवैध धन का लेन-देन और संरक्षण का खेल खेला जा रहा था।


    जीपीएस से ट्रैक हुई लोकेशन, कैमूर और बक्सर में मिली आखिरी जानकारी

    सूत्रों के अनुसार, जीपीएस नेविगेशन डिवाइस की मदद से जिन गाड़ियों को ट्रैक किया गया, उनकी अंतिम लोकेशन बिहार के कैमूर और बक्सर जिलों में पाई गई है। इन गाड़ियों पर 1111 और 9777 नंबर सीरीज लगी हुई थी, जो सिंडिकेट की पहचान मानी जा रही है। अब जांच एजेंसियां इन्हें बिहार से बरामद करने की तैयारी में जुट गई हैं।


    माफियाओं को ‘तोहफे’ में दी गईं करोड़ों की गाड़ियां

    जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि कफ सिरप सिंडिकेट ने अपना कारोबार फैलाने और स्थानीय संरक्षण हासिल करने के लिए टोयोटा की वेलफायर और लैंड क्रूजर जैसी महंगी गाड़ियां माफियाओं को भेंट की थीं। ईडी की रिपोर्ट के मुताबिक, 1111 नंबर सीरीज की गाड़ियां सिंडिकेट खुद इस्तेमाल करता था, जबकि 9777 नंबर सीरीज की गाड़ियां पूर्वांचल और बिहार के माफियाओं को दी गई थीं।


    टोयोटा शोरूम से मांगी गई तीन साल की बिक्री डिटेल

    दो सप्ताह पहले ईडी ने जौनपुर समेत पूर्वांचल के कई जिलों में स्थित टोयोटा शोरूम से पिछले तीन वर्षों में बेची गई लग्जरी गाड़ियों की पूरी जानकारी जुटाई। शोरूम से मिले रिकॉर्ड के आधार पर अब तक आठ संदिग्ध लग्जरी गाड़ियों को चिह्नित किया गया है, जिनकी कीमत 50 लाख से लेकर 2.40 करोड़ रुपये तक बताई जा रही है।


    फर्जी फर्मों के नाम पर खरीदी गईं गाड़ियां

    ईडी की जांच में सामने आया है कि ये गाड़ियां अलग-अलग फर्मों के नाम पर खरीदी गई थीं। एक गाड़ी अयोध्या की एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के नाम पर दर्ज पाई गई है। जांच एजेंसियों का मानना है कि गाड़ियों की बरामदगी के बाद कफ सिरप सिंडिकेट से जुड़े कई और बड़े राज सामने आ सकते हैं।


    आरोपितों से रिमांड पर पूछताछ की तैयारी

    फिलहाल ईडी ने गिरफ्तार आरोपित अमित सिंह टाटा और आलोक को रिमांड पर लेकर गहन पूछताछ की तैयारी शुरू कर दी है। एजेंसियों को उम्मीद है कि पूछताछ के दौरान मनी लॉन्ड्रिंग, नेटवर्क और राजनीतिक-सामाजिक संरक्षण से जुड़े अहम सुराग मिल सकते हैं।



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