“गरीबों के रोजगार पर बुलडोजर!” अरवल में मोदी सरकार के कानून के खिलाफ सड़कों पर उतरे मजदूर, भाकपा माले का बड़ा ऐलान
अरवल से ग्राउंड रिपोर्ट | 22 दिसंबर 2025
गरीबों और मजदूरों के रोजगार अधिकार को लेकर अरवल की सड़कों पर सोमवार को गुस्सा साफ नजर आया। खेत मजदूर ग्रामीण सभा के बैनर तले सैकड़ों मजदूरों ने मोदी सरकार के नए श्रम कानून के खिलाफ विरोध और प्रतिरोध मार्च निकाला। मार्च का नेतृत्व भाकपा माले के वरिष्ठ नेताओं ने किया, जहां सरकार पर सीधे-सीधे गरीब विरोधी नीतियां थोपने और रोजगार छीनने का आरोप लगाया गया।
प्रतिरोध मार्च शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरते हुए सभा स्थल पर पहुंचा, जहां नारे गूंजते रहे—
“मनरेगा हमारा अधिकार है”, “गरीबों पर बुलडोजर बंद करो”, “रोजगार दो, बेघर नहीं”।
कौन-कौन रहे मार्च के नेतृत्व में
इस प्रतिरोध मार्च का नेतृत्व
भाकपा माले जिला सचिव कॉम. जितेंद्र यादव,
राज्य कमेटी सदस्य सह अरवल के पूर्व विधायक कॉम. महानंद सिंह,
सीपीआई नेता कॉम. दीनानाथ सिंह,
खेत मजदूर ग्रामीण सभा के नेता कॉम. उपेंद्र पासवान और कॉम. सुरेन्द्र प्रसाद,
भाकपा माले नगर सचिव कॉम. नंदकिशोर ठाकुर,
ख़्हभैनी पंचायत के पूर्व मुखिया कॉम. विजय पासवान,
एपवा नेत्री कॉम. लीला वर्मा,
इंकलाबी नौजवान सभा के नेता कॉम. नीतीश कुमार,
अखिल भारतीय किसान महासभा के नेता कॉम. रामकुमार वर्मा,
और भाकपा माले राज्य कमेटी सदस्य कॉम. रविन्द्र यादव ने किया।
सभा की अध्यक्षता कॉम. उपेंद्र पासवान ने की।
“मनरेगा खत्म कर गरीबों से छिना अधिकार”
सभा को संबोधित करते हुए भाकपा माले नेता कॉम. महानंद सिंह ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि
“भाजपा सरकार देश के गरीबों को बेरोजगार करने के लिए नए-नए कानून ला रही है। संसद में मनरेगा कानून को कमजोर और लगभग रद्द कर दिया गया। मनरेगा में 100 दिन काम की गारंटी थी, लेकिन आज तक एक भी मजदूर को पूरा अधिकार नहीं मिला।”
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा लाया गया नया ‘जी राम जी’ कानून गरीबों को भ्रमित करने वाला है।
“सरकार कहती है 125 दिन काम मिलेगा, लेकिन कृषि सीजन में मजदूरों को काम नहीं मिलेगा। यह कैसा रोजगार है? यह कानून मजदूरों को काम देने के लिए नहीं, बल्कि उन्हें बेरोजगार करने के लिए लाया गया है।”
“गांधी का नाम, लेकिन नीति गरीब विरोधी”
नेताओं ने कहा कि भाजपा एक तरफ महात्मा गांधी को पूजने का दिखावा करती है, दूसरी तरफ गांधी की सोच से निकले मनरेगा कानून को खत्म कर रही है।
सभा में यह सवाल भी उठा कि अगर सरकार सच में गरीबों की हितैषी है, तो फिर मनरेगा मजदूरी समय पर क्यों नहीं मिलती, काम की मांग पर काम क्यों नहीं दिया जाता।
बिहार में बुलडोजर राजनीति का आरोप
भाकपा माले नेताओं ने बिहार सरकार पर भी सीधा निशाना साधा।
कॉम. महानंद सिंह ने कहा,
“बिहार में सरकार बनते ही गरीबों पर बुलडोजर चलने लगा। गरीबों को उजाड़ा जा रहा है, लेकिन सरकार के मुखिया चुप हैं। यह लोकतंत्र नहीं, डर का राज है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव के समय गरीबों से वोट लेकर सत्ता में आने के बाद एनडीए सरकार ने गरीबों के साथ धोखा किया है।
अरवल की घटना ने बढ़ाया आक्रोश
सभा के दौरान अरवल की एक दिल दहला देने वाली घटना का जिक्र भी हुआ, जहां आंगनवाड़ी रसोइया के साथ बलात्कार कर हत्या किए जाने का आरोप है। नेताओं ने कहा कि
“इतनी बड़ी घटना के बाद भी अपराधियों की गिरफ्तारी नहीं होना, सरकार की संवेदनहीनता को दिखाता है।”
नेताओं ने कहा कि बिहार में अपराध लगातार बढ़ रहा है, लेकिन सरकार अपराधियों पर कार्रवाई करने के बजाय गरीबों पर बुलडोजर चलाने में व्यस्त है।
“गरीब सड़क पर उतरेगा, नेतृत्व भाकपा माले करेगी”
प्रतिरोध सभा में साफ चेतावनी दी गई कि अगर सरकार ने गरीबों के खिलाफ नीतियां वापस नहीं लीं, तो
“बिहार का गरीब सड़क पर उतरेगा और इस आंदोलन का नेतृत्व भाकपा माले करेगी।”
नेताओं ने दो टूक कहा कि
भाकपा माले ने हमेशा गरीबों, मजदूरों और किसानों की लड़ाई लड़ी है और आगे भी संघर्ष से पीछे नहीं हटेगी।
क्या है इस आंदोलन का राजनीतिक संदेश?
इस प्रतिरोध मार्च ने साफ कर दिया है कि
- मनरेगा और रोजगार का मुद्दा आने वाले समय में बड़ा राजनीतिक सवाल बनेगा
- बुलडोजर कार्रवाई को लेकर गरीब तबके में नाराजगी बढ़ रही है
- विपक्षी दल इसे गरीब बनाम सरकार की लड़ाई के रूप में आगे ले जाने की तैयारी में हैं
अरवल की सड़कों पर दिखा यह आक्रोश सिर्फ एक जिले की आवाज नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत के उस गुस्से का संकेत है, जो रोजगार, सुरक्षा और सम्मान की मांग कर रहा है।