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अरवल में पंचायत स्तरीय फसल कटनी प्रयोग सम्पन्न, डीएम ने की प्रक्रिया की प्रत्यक्ष मॉनिटरिंग


अरवल। कृषि वर्ष 2025–26 के लिए अगहनी धान उपज का वैज्ञानिक आकलन करने हेतु मंगलवार को अरवल प्रखंड के सकरी पंचायत में पंचायत स्तरीय फसल कटनी प्रयोग सफलतापूर्वक सम्पन्न किया गया। यह महत्वपूर्ण प्रक्रिया जिला पदाधिकारी अभिलाषा शर्मा के प्रत्यक्ष पर्यवेक्षण में आयोजित की गई, जिसमें धान उत्पादन की वास्तविक स्थिति का आंकलन वैज्ञानिक मानकों के अनुरूप किया गया।

जिला पदाधिकारी ने प्रयोग स्थल पर पहुंचकर पूरी प्रक्रिया की बारीकी से समीक्षा की और संबंधित अधिकारियों को पारदर्शिता सुनिश्चित करने तथा हर चरण को निर्धारित वैज्ञानिक पद्धति से संचालित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि फसल कटनी प्रयोग से प्राप्त आंकड़े जिले की कृषि उत्पादकता निर्धारित करने में अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। इन्हीं आंकड़ों के आधार पर कृषि योजनाओं, अनुदानों, राहत राशि और फसल बीमा से संबंधित कई नीतियाँ तैयार की जाती हैं।

फसल कटनी का प्रयोग कृषक दिलीप कुमार के खेत में 10 × 5 वर्ग मीटर क्षेत्रफल पर किया गया। कटनी का कार्य प्रखंड कृषि पदाधिकारी कुन्दन कुमार द्वारा किया गया, जबकि किसान सलाहकार और कृषि समन्वयक प्रक्रिया के दौरान मौजूद रहे। कटनी के उपरांत हरे धान का कुल वजन 34 किलोग्राम 250 ग्राम दर्ज किया गया, जिसके आधार पर धान की संभावित उपज 68 क्विंटल 500 ग्राम प्रति हेक्टेयर आँकी गई।

कार्यक्रम में उप विकास आयुक्त, जिला कृषि पदाधिकारी, जिला सांख्यिकी पदाधिकारी, अनुमंडल कृषि पदाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी, प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारी सहित जिला, प्रखंड और पंचायत स्तर के कई अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे। सभी अधिकारियों ने संयुक्त रूप से प्रक्रिया का निरीक्षण किया और यह सुनिश्चित किया कि प्रयोग वैज्ञानिक मानकों के अनुरूप संपन्न हो।

जिला सांख्यिकी कार्यालय हर वर्ष अगहनी तथा रबी दोनों मौसमों में ऐसे प्रयोग करता है। पंचायत स्तर से प्राप्त उपज के आंकड़े जिला एवं राज्य स्तर पर संकलित कर सरकार को भेजे जाते हैं, जिनका उपयोग कृषि उत्पादकता मूल्यांकन से लेकर विभिन्न योजनाओं के नीति-निर्माण तक किया जाता है।

डीएम अभिलाषा शर्मा ने सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि फसल कटनी प्रयोग अत्यंत संवेदनशील और महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, इसलिए इसे पूर्ण निष्पक्षता, समयबद्धता और वैज्ञानिक तरीके से पूरा किया जाए, जिससे जिले की वास्तविक कृषि उपज का सही आकलन सुनिश्चित हो सके।


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