दुनिया आज भारत को पहले से कहीं ज्यादा गंभीरता से लेती है, हमारी छवि में आया बदलाव नकारा नहीं जा सकता: विदेश मंत्री एस. जयशंकर
नई दिल्ली। भारत की वैश्विक छवि, कूटनीतिक प्रभाव और बढ़ते आत्मविश्वास को लेकर विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने शनिवार को बड़ा और स्पष्ट बयान दिया। उन्होंने कहा कि आज दुनिया भारत को पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा सकारात्मक नजर से देखती है और यह बदलाव कोई धारणा नहीं, बल्कि एक ऐसी सच्चाई है जिसे नकारा नहीं जा सकता।
पुणे में सिम्बायोसिस इंटरनेशनल (डीम्ड यूनिवर्सिटी) के 22वें दीक्षा समारोह को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने वैश्विक राजनीति, भारत की बढ़ती भूमिका, नेतृत्व, मानव संसाधन और नेशनल ब्रांड पर विस्तार से बात की। उनके बयान न सिर्फ मौजूदा वैश्विक हालात को दर्शाते हैं, बल्कि आने वाले समय में भारत की दिशा भी तय करते नजर आते हैं।
दुनिया बदल रही है, सत्ता के नए केंद्र उभर रहे हैं
डॉ. जयशंकर ने कहा कि वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था में बड़ा बदलाव आया है। अब दुनिया एकध्रुवीय नहीं रही। सत्ता और प्रभाव के कई नए केंद्र उभरे हैं।
उन्होंने साफ शब्दों में कहा,
“आज कोई भी देश, चाहे वह कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, हर मुद्दे पर अपनी मर्जी थोप नहीं सकता।”
उनके मुताबिक, यही वह बदलाव है जिसने भारत जैसे देशों को अपनी बात मजबूती से रखने का अवसर दिया है। भारत अब सिर्फ सुनने वाला देश नहीं रहा, बल्कि फैसलों और समाधान का अहम हिस्सा बन चुका है।
विकसित देश जहां ठहराव में, भारत वहां आगे बढ़ रहा है
विदेश मंत्री ने भारत की सबसे बड़ी ताकत पर जोर देते हुए कहा कि मानव संसाधन के मामले में भारत ने उल्लेखनीय तरक्की की है।
उन्होंने कहा कि कई विकसित देश आज जनसांख्यिकीय संकट और आर्थिक ठहराव से जूझ रहे हैं, जबकि भारत युवा आबादी, कौशल और कार्य संस्कृति के दम पर आगे बढ़ रहा है।
“आज भारत के पास वह मानव पूंजी है, जो आने वाले दशकों में उसे वैश्विक नेतृत्व की स्थिति में पहुंचा सकती है,” जयशंकर ने कहा।
जयशंकर ने हनुमान का उदाहरण क्यों दिया?
कार्यक्रम के दौरान जब उनसे पूछा गया कि क्या देश के लिए एक जयशंकर काफी हैं, तो विदेश मंत्री ने बेहद सधे और सांकेतिक अंदाज में जवाब दिया।
उन्होंने कहा,
“आपका सवाल गलत है। आपको मुझसे पूछना चाहिए था—एक मोदी हैं। क्योंकि आखिरकार, हनुमान ही सेवा करते हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि देश नेताओं और उनके विजन से पहचाने जाते हैं। कुछ लोग उस विजन को लागू करने का काम करते हैं, लेकिन अंततः फर्क नेतृत्व, दूरदृष्टि और आत्मविश्वास से ही पड़ता है।
इस बयान को राजनीतिक और वैचारिक दोनों दृष्टि से काफी अहम माना जा रहा है।
भारत का नेशनल ब्रांड मजबूत हुआ है
डॉ. जयशंकर ने कहा कि आज दुनिया भारत को कहीं ज्यादा गंभीरता से ले रही है और इसके पीछे भारत के नेशनल ब्रांड में आया सुधार है।
उन्होंने कहा,
“पहले के मुकाबले आज हमारी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा और हमारे देश की साख दोनों में बड़ा सुधार हुआ है।”
उनके अनुसार, दुनिया आज भारतीयों को ऐसे लोगों के रूप में देखती है:
- जिनकी कार्य नीति मजबूत है
- जिनमें टेक्नोलॉजी की गहरी समझ है
- जो परिवार-केंद्रित और भरोसेमंद संस्कृति को मानते हैं
विदेशों में भारतीयों की छवि में बड़ा बदलाव
विदेश मंत्री ने बताया कि जब वे विदेशों में अपने समकक्षों से बातचीत करते हैं, तो उन्हें सबसे ज्यादा तारीफ भारतीय डायस्पोरा के लिए सुनने को मिलती है।
उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे भारत में बिजनेस करने और रहने में आसानी बढ़ी है, वैसे-वैसे भारत को लेकर बनी पुरानी रूढ़िवादी धारणाएं टूट रही हैं।
“हमारी प्रगति और आधुनिकीकरण की यात्रा अभी पूरी नहीं हुई है, लेकिन हमारी छवि में आया बदलाव अब एक स्थापित सच्चाई है,” उन्होंने कहा।
आंकड़े भी भारत के पक्ष में गवाही दे रहे हैं
डॉ. जयशंकर ने कहा कि भारत की बदली हुई छवि सिर्फ बातों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके ठोस प्रमाण आंकड़ों में भी दिखते हैं।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा:
- भारत में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है
- विदेशों में भारतीय टैलेंट और स्किल्स की मांग लगातार बढ़ रही है
- भारतीय प्रोफेशनल्स व्यक्तिगत स्तर पर बड़ी सफलताएं हासिल कर रहे हैं
उनके मुताबिक, ये सभी बातें मिलकर भारत के मजबूत नेशनल ब्रांड का निर्माण कर रही हैं।
भारत की पहचान अब टैलेंट और स्किल से
विदेश मंत्री ने कहा कि आज भारत की पहचान सिर्फ बाजार या उपभोक्ता देश के रूप में नहीं है, बल्कि टैलेंट और स्किल के केंद्र के रूप में बन रही है।
उन्होंने कहा,
“शायद दूसरे देशों के मुकाबले आज भारत को उसके मानव संसाधन के लिए ज्यादा पहचाना जाता है।”
यही वजह है कि दुनिया भारत के साथ साझेदारी करने को उत्सुक है।
मानव संसाधन: भारत को अलग बनाता है
अपने संबोधन के अंत में डॉ. जयशंकर ने भारत की सबसे बड़ी खासियत को रेखांकित किया।
उन्होंने कहा,
“ज्यादातर देशों ने व्यापार, निवेश और सेवाओं के जरिए अपनी वैश्विक मौजूदगी बनाई है। भारत का रास्ता भी यही है और इन सभी क्षेत्रों में हम आगे बढ़ रहे हैं। लेकिन जो चीज हमें अलग बनाती है, वह है मानव संसाधनों की अहमियत।”
उनके अनुसार, आत्मविश्वास, काबिलियत और युवा शक्ति भारत को आने वाले समय में वैश्विक मंच पर और मजबूत बनाएगी।
निष्कर्ष
विदेश मंत्री एस. जयशंकर का यह बयान सिर्फ एक भाषण नहीं, बल्कि भारत की बदलती वैश्विक स्थिति का प्रतिबिंब है। दुनिया में भारत की छवि, प्रभाव और आत्मविश्वास जिस तरह बढ़ा है, वह साफ संकेत देता है कि भारत अब वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था में हाशिए पर नहीं, बल्कि केंद्र में खड़ा है।