Bangladesh Women Assault Viral Videos: बुर्का-हिजाब न पहनने पर महिलाओं पर हमले के दावे, उस्मान हादी की हत्या के बाद बांग्लादेश में हालात बेहद तनावपूर्ण
बांग्लादेश एक बार फिर गंभीर राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है। हाल के दिनों में सोशल मीडिया पर वायरल हुए दो वीडियो ने पूरे देश में महिलाओं की सुरक्षा, धार्मिक स्वतंत्रता और कानून-व्यवस्था को लेकर गहरी चिंता पैदा कर दी है। इन वायरल क्लिप्स में दावा किया जा रहा है कि कुछ महिलाओं पर केवल इसलिए भीड़ ने हमला किया, क्योंकि उन्होंने बुर्का या हिजाब नहीं पहना था। इन घटनाओं को युवा नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद बिगड़े हालात से जोड़कर देखा जा रहा है।
हालांकि इन वीडियो की आधिकारिक पुष्टि अब तक बांग्लादेशी प्रशासन की ओर से नहीं हुई है, लेकिन सोशल मीडिया और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इन दावों ने बहस और चिंता दोनों को हवा दे दी है।
बुर्का नहीं पहना तो भीड़ का हमला? क्या है वायरल वीडियो का दावा
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे पहले वीडियो में दावा किया गया है कि एक ईसाई महिला पर इसलिए हमला किया गया, क्योंकि उसने पश्चिमी कपड़े पहने थे और बुर्का या हिजाब नहीं पहना था। वीडियो में कुछ लोग महिला के साथ बदसलूकी करते और उसे घेरते हुए दिखाई देते हैं। दावा किया जा रहा है कि यह घटना धार्मिक असहिष्णुता का नतीजा है।
दूसरे वायरल वीडियो में आरोप है कि दो मुस्लिम महिलाओं को सिर्फ इसलिए निशाना बनाया गया, क्योंकि उन्होंने बुर्का और हिजाब नहीं पहना था। वीडियो में भीड़ द्वारा महिलाओं को डराने-धमकाने और हाथापाई करने के दृश्य दिखने का दावा किया जा रहा है।
इन दोनों मामलों में अब तक किसी भी वीडियो की पुष्टि स्वतंत्र तौर पर नहीं हो सकी है, लेकिन जिस तरह से ये क्लिप्स वायरल हो रही हैं, उसने आम लोगों के बीच डर और गुस्से का माहौल बना दिया है।
उस्मान हादी की हत्या के बाद क्यों भड़के हालात
बांग्लादेश में हालात उस वक्त और बिगड़ गए, जब युवा नेता और ‘इंकिलाब मंच’ के आयोजक शरीफ उस्मान हादी की हत्या कर दी गई। 12 दिसंबर को ढाका में नकाबपोश हमलावरों ने उन्हें गोली मार दी थी। गंभीर रूप से घायल उस्मान हादी को इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया, जहां कुछ दिनों बाद उनकी मौत हो गई।
उस्मान हादी 2024 के स्टूडेंट अपराज़िंग मूवमेंट से जुड़े रहे थे और युवाओं के बीच उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती थी। उनकी हत्या के बाद ढाका समेत कई बड़े शहरों में जबरदस्त प्रदर्शन शुरू हो गए। कई इलाकों में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच झड़पें हुईं। मीडिया दफ्तरों, सरकारी इमारतों और राजनीतिक प्रतिष्ठानों को भी नुकसान पहुंचाया गया।
अशांत माहौल में महिलाओं पर हमलों के दावों से बढ़ी बेचैनी
इसी राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल के बीच महिलाओं पर कथित हमलों के वीडियो सामने आना हालात को और ज्यादा संवेदनशील बना रहा है। सोशल मीडिया यूजर्स इन घटनाओं को देश में बिगड़ती कानून-व्यवस्था और कट्टर सोच के बढ़ते असर से जोड़कर देख रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि चाहे ये वीडियो पूरी तरह सत्य हों या भ्रामक, लेकिन ऐसे दावे समाज में डर और असुरक्षा की भावना जरूर पैदा करते हैं। महिलाओं की आजादी, पहनावे की पसंद और धार्मिक पहचान को लेकर हिंसा के आरोप बांग्लादेश की सामाजिक संरचना और उसकी अंतरराष्ट्रीय छवि पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं।
धार्मिक स्वतंत्रता और महिला अधिकारों पर उठे सवाल
बांग्लादेश को लंबे समय तक एक उदार और सहिष्णु मुस्लिम देश के तौर पर देखा जाता रहा है, जहां अल्पसंख्यकों और महिलाओं को अपेक्षाकृत सुरक्षित माहौल मिला है। लेकिन हालिया घटनाक्रम ने इस धारणा को झटका दिया है।
महिलाओं के पहनावे को लेकर हिंसा के दावे, चाहे वे सत्य हों या अफवाह, यह संकेत जरूर देते हैं कि समाज में ध्रुवीकरण और असहिष्णुता बढ़ रही है। मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि ऐसे मामलों में सरकार की चुप्पी और देरी हालात को और बिगाड़ सकती है।
सरकार और प्रशासन की भूमिका पर उठ रहे सवाल
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने उस्मान हादी की हत्या को एक पूर्व नियोजित साजिश बताया है। सरकार की ओर से आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। हत्या के बारे में जानकारी देने वालों के लिए नकद इनाम की भी घोषणा की गई है।
हालांकि, महिलाओं पर कथित हमलों को लेकर अब तक सरकार या पुलिस की ओर से कोई स्पष्ट और आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। कई इलाकों में पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तैनाती जरूर बढ़ाई गई है, लेकिन जमीनी हालात अब भी तनावपूर्ण बने हुए हैं।
सोशल मीडिया पर तीखी बहस, अंतरराष्ट्रीय चिंता
इन वायरल वीडियो के बाद सोशल मीडिया पर तीखी बहस छिड़ गई है। कुछ लोग इसे बांग्लादेश में बढ़ती धार्मिक कट्टरता और महिला विरोधी सोच का संकेत बता रहे हैं। वहीं, कुछ का कहना है कि यह अराजक माहौल में फैलाया गया भ्रामक प्रचार भी हो सकता है, जिसका मकसद हालात को और बिगाड़ना है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बांग्लादेश में महिलाओं की सुरक्षा, धार्मिक स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों को लेकर चिंता जताई जा रही है। कई यूजर्स और मानवाधिकार कार्यकर्ता सरकार से इन दावों की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं।
सच क्या है, जवाब कब मिलेगा?
फिलहाल सबसे बड़ा सवाल यही है कि वायरल हो रहे ये वीडियो सच हैं या अफवाह। लेकिन इतना तय है कि ऐसे दावों ने बांग्लादेश में असुरक्षा और अविश्वास का माहौल बना दिया है। जानकारों का कहना है कि सरकार को जल्द से जल्द स्थिति स्पष्ट करनी होगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी होगी, ताकि हालात और न बिगड़ें।
बांग्लादेश इस समय एक नाजुक मोड़ पर खड़ा है। राजनीतिक अस्थिरता, हिंसा और अब महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े सवाल—ये सभी चुनौतियां देश के भविष्य और उसकी वैश्विक छवि को गहराई से प्रभावित कर सकती हैं।