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औरंगाबाद कलेक्ट्रेट पर रेल आंदोलन की बड़ी हलचल, जमीन अधिग्रहण तेज करने की मांग


औरंगाबाद। बिहटा–अरवल–औरंगाबाद नई रेलवे लाइन परियोजना को लेकर एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। आज दिनांक 16 दिसंबर 2025 को औरंगाबाद कलेक्ट्रेट में रेलवे संघर्ष समिति के मुख्य संयोजक और रेल आंदोलन के सूत्रधार मनोज सिंह यादव ने जिलाधिकारी से मुलाकात कर जमीन अधिग्रहण की धीमी रफ्तार पर गंभीर चिंता जताई और इसे एक माह के भीतर पूरा करने की मांग की।

मनोज सिंह यादव ने बताया कि इस महत्वाकांक्षी रेलवे परियोजना के प्रथम चरण में 13 किलोमीटर तथा द्वितीय चरण में 117 किलोमीटर रेल लाइन निर्माण को लेकर पूरी स्वीकृति मिल चुकी है और राशि भी जारी कर दी गई है। प्रथम चरण के लिए 9 मार्च 2024 को 444 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत हुई थी, जबकि द्वितीय चरण के 117 किलोमीटर के लिए 30 सितंबर 2025 को 3606 करोड़ रुपये की बड़ी राशि रेलवे को प्राप्त हुई है।

इसके बावजूद औरंगाबाद से अनुग्रह नारायण रोड तक प्रथम चरण के जमीन अधिग्रहण का कार्य अब तक काफी सुस्त गति से चल रहा है। इसी को लेकर रेलवे संघर्ष समिति ने प्रशासन पर दबाव बढ़ाया है। कलेक्ट्रेट में दिए गए ज्ञापन में स्पष्ट रूप से मांग की गई कि जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया को तेज करते हुए एक माह के भीतर पूरा किया जाए, ताकि वर्षों से लंबित इस परियोजना को धरातल पर उतारा जा सके।

मनोज सिंह यादव ने यह भी जानकारी दी कि इससे एक दिन पहले ही उन्होंने रेलवे के चीफ इंजीनियर अनिल कुमार से मुलाकात कर जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया को शीघ्र पूरा करने के लिए अनुरोध पत्र सौंपा था। इस पर चीफ इंजीनियर अनिल कुमार ने आश्वासन दिया कि जैसे ही जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी होगी, रेलवे लाइन निर्माण से जुड़ी अन्य सभी प्रक्रियाएं तुरंत शुरू कर दी जाएंगी।

स्थानीय लोगों का मानना है कि बिहटा–अरवल–औरंगाबाद रेलवे लाइन के निर्माण से न केवल आवागमन आसान होगा, बल्कि पूरे क्षेत्र में रोजगार, व्यापार और विकास की नई रफ्तार आएगी। ऐसे में अब सभी की निगाहें प्रशासन और रेलवे पर टिकी हैं कि जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया कितनी तेजी से पूरी होती है और यह बहुप्रतीक्षित रेल परियोजना कब साकार होती है।
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