सभी स्मार्टफोन्स में अनिवार्य होगा ‘संचार साथी’ ऐप, मोबाइल सुरक्षा मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार का बड़ा फैसला
नई दिल्ली की डिजिटल हवा में इन दिनों एक नई हलचल तैर रही है—कुछ वैसी, जैसे सरकार ने पूरे मोबाइल बाज़ार पर एक अदृश्य सुरक्षा-कवच तान दिया हो। बढ़ते साइबर खतरे, मोबाइल चोरी और फर्जी कनेक्शनों के जाल को देखते हुए केंद्र सरकार ने सभी स्मार्टफोन कंपनियों को आदेश दिया है कि वे अपने फोन में सरकारी साइबर सुरक्षा ऐप ‘Sanchar Saathi’ प्री-लोडेड करके ही बेचें। यह आदेश 28 नवंबर को जारी हुआ है और कंपनियों को इसे लागू करने के लिए 90 दिन का समय दिया गया है।
सरकार की यह पहल महज़ तकनीकी फैसला नहीं, बल्कि एक विशाल डिजिटल व्यवस्था को कसने की कोशिश है। संचार साथी ऐप चोरी हुए मोबाइल खोजने, फर्जी IMEI पहचानने और संदिग्ध कॉल्स की शिकायत दर्ज कराने जैसे कई स्तरों पर आम उपयोगकर्ताओं को सुरक्षा देता है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, ऐप की मदद से 3.7 मिलियन से अधिक चोरी या गुम मोबाइल ब्लॉक किए जा चुके हैं, जबकि 30 मिलियन से ज्यादा फर्जी मोबाइल कनेक्शन बंद हुए हैं। इस साल अक्टूबर में ही 50 हजार से ज्यादा खोए फोन इस ऐप के जरिये ढूंढ निकाले गए थे।
हालांकि, इस आदेश ने स्मार्टफोन कंपनियों—खासकर वैश्विक दिग्गजों—की नींद उड़ा दी है। रिपोर्ट्स में दावा है कि Apple जैसी कंपनियां इस फैसले से असहज हैं, क्योंकि वे अपने फोन में किसी भी तरह के प्री-लोडेड ऐप शामिल नहीं करतीं। कंपनियों का यह भी कहना है कि इतनी बड़ी नीति-परिवर्तन प्रक्रिया पर उनसे सलाह-मशविरा नहीं किया गया।
यूजर्स पर इसका असर? ज़्यादा नहीं। स्मार्टफोन्स पहले से ही कई प्री-लोडेड ऐप्स के साथ आते हैं, इसलिए एक और ऐप का जुड़ना किसी तूफ़ान जैसा बदलाव नहीं। उलटे, यह ऐप फोन चोरी, साइबर धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े के खिलाफ एक उपयोगी हथियार साबित हो सकता है।
सरकार मानती है कि डिजिटल सुरक्षा की इस नई परत से अपराधियों के लिए चोरी के फोन बेचना मुश्किल होगा, और देश की मोबाइल सुरक्षा व्यवस्था और भी मजबूत बनेगी।