केंद्र की नई योजना: भारत में 7,280 करोड़ रुपये की निवेश से बनेगे सिंटर्ड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट्स के कारखाने
केंद्र सरकार ने सिंटर्ड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट्स (REPM) मैन्युफैक्चरिंग स्कीम को मंजूरी देकर भारत की इंडस्ट्रियल स्ट्रेंथ को नई दिशा देने की तैयारी कर ली है। यह योजना न केवल देश की जरूरतों को पूरा करेगी, बल्कि वैश्विक रेयर अर्थ सप्लाई चेन में भारत की मजबूत मौजूदगी भी सुनिश्चित करेगी। योजना का कुल आकार 7,280 करोड़ रुपये है और इसका लक्ष्य भारत में हर साल 6,000 मीट्रिक टन की क्षमता वाले अत्याधुनिक मैग्नेट्स का उत्पादन शुरू करना है।
क्या हैं रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट्स?
रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट्स दुनिया के सबसे शक्तिशाली मैग्नेट्स माने जाते हैं। इनकी जरूरत—
इलेक्ट्रिक व्हीकल्स
सोलर व विंड एनर्जी
मोबाइल व इलेक्ट्रॉनिक्स
एयरोस्पेस
रक्षा और मिसाइल टेक्नोलॉजी
मेडिकल उपकरण
जैसे हाई-टेक सेक्टर में लगातार बढ़ रही है।
योजना की खास बातें
सरकार ने इस स्कीम के लिए बड़े पैमाने पर प्रोत्साहन का ऐलान किया है—
₹6,450 करोड़ बिक्री-आधारित इंसेंटिव
₹750 करोड़ कैपिटल सब्सिडी
रेयर अर्थ ऑक्साइड से लेकर फाइनल मैग्नेट तक पूरी वैल्यू चेन भारत में तैयार होगी।
उत्पादन क्षमता को वैश्विक प्रतिस्पर्धी बिडिंग के जरिए पांच लाभार्थियों में बांटा जाएगा।
हर लाभार्थी को अधिकतम 1,200 टन/वर्ष उत्पादन की अनुमति मिलेगी।
स्कीम की कुल अवधि 7 वर्ष तय की गई है। पहले दो साल प्लांट सेटअप के लिए और अगले पाँच साल उत्पादन-आधारित इंसेंटिव के लिए होंगे।
चीन पर निर्भरता घटाने की तैयारी
अब तक दुनिया में REPM की सप्लाई पर चीन का असर हावी रहा है। चीन के निर्यात प्रतिबंधों से ऑटो, इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा सेक्टर सहित कई उद्योगों पर असर पड़ा। भारत की यह स्कीम उसी एकाधिकार को तोड़ने की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही है।
क्या होगा फायदा?
भारत REPM बाजार में नई वैश्विक शक्ति बन सकेगा।
नेट-जीरो 2070 और आत्मनिर्भर भारत मिशन के लक्ष्यों को गति मिलेगी।
हजारों नए रोजगार पैदा होंगे।
हाई-टेक इंडस्ट्री में भारत की सप्लाई चेन मजबूत होगी।
सरकार का दावा है कि यह स्कीम विकसित भारत @2047 के विजन को मजबूती देने वाला निर्णायक कदम है।