मतदाता गहन पुनरीक्षण के खिलाफ आरवाईए का राज्यव्यापी आक्रोश मार्च, लोकतंत्र बचाओ की उठी हुंकार

मतदाता गहन पुनरीक्षण के खिलाफ आरवाईए का राज्यव्यापी आक्रोश मार्च, लोकतंत्र बचाओ की उठी हुंकार

Satveer Singh
0

अरवल। चुनाव आयोग द्वारा बिहार में चलाए जा रहे विशेष सघन मतदाता गहन पुनरीक्षण अभियान के खिलाफ आज राज्यभर में इंकलाबी नौजवान सभा (आरवाईए) के नेतृत्व में जोरदार आक्रोश मार्च और नुक्कड़ सभाएं आयोजित की गईं। यह विरोध प्रदर्शन बिहार के विभिन्न जिलों में गांव-कस्बों से लेकर जिला मुख्यालयों तक चला, जिसमें हजारों की संख्या में छात्र-नौजवान, महिलाएं, सामाजिक कार्यकर्ता और बुद्धिजीवी शामिल हुए। आरवाईए के राज्यव्यापी अभियान के तहत आयोजित इस मार्च का नेतृत्व करते हुए संगठन के नेता टूना शर्मा ने कहा कि, “यह केवल एक विरोध मार्च नहीं, बल्कि संविधान और मताधिकार की रक्षा के लिए नौजवानों का निर्णायक हस्तक्षेप है। यह पूरी प्रक्रिया एक सुनियोजित साजिश है, जिसके तहत नए युवा वोटर, दलित, गरीब, मजदूर और प्रवासी वर्ग को मतदाता सूची से बाहर करने की कोशिश की जा रही है।” उन्होंने कहा कि बिहार जैसे राज्य में जहां केवल 2.8% लोगों के पास जन्म प्रमाण पत्र है, वहां पासपोर्ट, जमीन के कागजात और एनआरसी जैसे दस्तावेज मांगना करोड़ों मतदाताओं को मतदाता सूची से बाहर करने का तरीका है। उन्होंने इस प्रक्रिया को “वोटबंदी” की संज्ञा दी और कहा कि यह संविधान के सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार की भावना को कुचलने की कोशिश है। नुक्कड़ सभा को भाकपा-माले के राज्य कमेटी सदस्य व छात्र-युवा संगठन के जिला प्रभारी रविंद्र यादव ने भी संबोधित किया। उन्होंने आरोप लगाया कि

“चुनाव आयोग भाजपा के इशारों पर काम कर रहा है। बिहार में एनआरसी थोपने की साजिश चल रही है, जबकि नागरिकता जांच चुनाव आयोग का अधिकार ही नहीं है।” इंकलाबी नौजवान सभा के जिला सचिव रामाकांत शर्मा उर्फ टूना की अध्यक्षता में आयोजित सभा में जिला अध्यक्ष शाह शाद ने कहा कि भाजपा महागठबंधन की बढ़ती लोकप्रियता से डर गई है और चुनाव आयोग के जरिए गरीबों के वोट काटने का षड्यंत्र रच रही है। उन्होंने कहा कि बिहार के करीब 3 से 4 करोड़ नौजवान बाहर पलायन कर चुके हैं और वे इस गहन पुनरीक्षण की जद में आ रहे हैं। सभा में यह भी ऐलान किया गया कि 9 जुलाई को महागठबंधन के आह्वान पर बिहार के कोने-कोने में छात्र, नौजवान, महिलाएं और व्यवसायी सड़कों पर उतरेंगे और मतदाता गहन पुनरीक्षण अभियान को वापस लेने की मांग करेंगे।
जब तक यह “लोकतंत्र विरोधी” अभियान वापस नहीं होता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। यह जनआक्रोश अब सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह पूरे देश के मतदाताओं के अधिकारों और लोकतंत्र की रक्षा की एक निर्णायक लड़ाई में बदलता जा रहा है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(2)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Out
Ok, Go it!
To Top