अरवल। संपूर्ण बिहार बंद के मौके पर अरवल में आयोजित एक सभा को संबोधित करते हुए सांसद प्रतिनिधि राजू रंजन पासवान ने महागठबंधन की एकजुटता और जनता के समर्थन को ऐतिहासिक करार दिया। उन्होंने कहा कि यह बंद केवल राजनीतिक विरोध नहीं, बल्कि लोकतंत्र और गरीबों के हक की रक्षा का निर्णायक संघर्ष है।
राजू रंजन पासवान ने कहा, "वोट से गरीब को वंचित किया जा रहा है, ताकि वह अपने चुने हुए नेता को विधानसभा नहीं भेज सके। जब उसका प्रतिनिधि ही नहीं होगा, तो उसकी आवाज कौन उठाएगा?"
उन्होंने मतदाता सूची से नाम काटे जाने की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि गरीबों को टारगेट किया जा रहा है। "कभी आधार नंबर मांगा जा रहा है, कभी वोटर कार्ड, कभी फोटो, कभी सिग्नेचर... मकसद साफ है — गरीब को लिस्ट से हटाना। और हम ऐसा नहीं होने देंगे, चाहे इसके लिए कितनी भी बड़ी लड़ाई क्यों न लड़नी पड़े," उन्होंने चेतावनी दी।
राजू रंजन ने आगे कहा, "आज का यह बिहार बंद एक ट्रेलर है, अगर यह कानून वापस नहीं लिया गया, तो अगली बार पूरे भारत में ऐसा बंद होगा कि चप्पा-चप्पा बंद रहेगा। गरीबों के नाम लिस्ट से हटाए जा रहे हैं, जबकि अमीरों को कोई परेशानी नहीं हो रही। जिनके पास कागजात नहीं हैं, जो पुलों के नीचे या सरकारी जमीन पर रहते हैं, उनका नाम काटा जा रहा है।"
दिल्ली का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि "दिल्ली में बुलडोजर गरीबों के घर पर चल रहा है। इनमें से कई बिहार के लोग हैं, जिनका रोज़गार खत्म हो गया है। अब उनके वोट काटने की साजिश हो रही है।"
सभा के दौरान बार-बार "जय महागठबंधन" के नारे गूंजते रहे। उन्होंने गरीब, दलित और वंचित समुदाय से आह्वान करते हुए कहा कि "हमें जाति-धर्म से ऊपर उठकर एकजुट होना होगा। मैं खून का एक-एक कतरा बहा दूंगा, लेकिन इस साजिश को सफल नहीं होने दूंगा।"
अपने भाषण के अंत में राजू रंजन पासवान ने कुछ नेताओं पर तंज कसते हुए कहा, "जो खुद को गरीबों का नेता कहते हैं, वे सत्ता के लिए उन्हीं के साथ बैठे हैं जो दलितों के हक छीन रहे हैं। मैं दलितों का हक खाने नहीं दूंगा। हम आज भी एकजुट हैं और आगे भी रहेंगे।"
यह बयान एक बार फिर महागठबंधन के संघर्षशील रुख और गरीबों के हक की लड़ाई को नई धार देने का संकेत माना जा रहा है।