प्रदर्शन की अध्यक्षता जिला अध्यक्ष मनीष पासवान ने की जबकि मंच संचालन प्रखंड अध्यक्ष इंदल सिंह द्वारा किया गया। कार्यक्रम में जिले के विभिन्न पंचायतों से सैकड़ों की संख्या में वार्ड सदस्य शामिल हुए।
मुख्य मांगें और आरोप:
15वें वित्त आयोग की राशि में अनियमितता
वार्ड सदस्यों ने आरोप लगाया कि पंचायती राज विभाग के संकल्प संख्या 2935 (दिनांक 22 जून 2021) के अनुसार वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति को ₹4000 प्रतिमाह, ₹2000 मानदेय और ₹24000 सालाना जल योजना हेतु राशि दी जानी थी, परंतु यह राशि अधिकतर पंचायतों में आज तक हस्तांतरित नहीं की गई।
गली-नाली योजना में पारदर्शिता की कमी
मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के अंतर्गत गली-नाली पक्कीकरण कार्यों में वार्ड सभा की सहमति के बिना योजनाएं पारित की जा रही हैं, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया का उल्लंघन है।
स्थायी समितियों का गठन लंबित
वार्ड सदस्यों ने शिकायत की कि ग्राम पंचायतों की छह स्थायी समितियों का गठन अब तक नहीं किया गया है, जिससे उनकी भूमिका सीमित हो गई है।
तकनीकी निगरानी की मांग
भ्रष्टाचार रोकने के लिए पंचायत बैठकों की वीडियोग्राफी, बायोमेट्रिक उपस्थिति और पोर्टल पर उसी दिन प्रस्ताव अपलोड करने की मांग उठाई गई।
भत्ता, पेंशन और सुरक्षा की मांग
निवर्तमान और वर्तमान वार्ड सदस्यों के लंबित भत्ते के भुगतान, शस्त्र लाइसेंस, विशेष न्यायालय, सामान्य मृत्यु पर ₹10 लाख और आपराधिक घटनाओं में ₹25 लाख मुआवजे की मांग की गई।
पंचायत प्रतिनिधियों के लिए वेतन और पेंशन
विधायकों और सांसदों की तरह पंचायत प्रतिनिधियों को भी वेतन और पेंशन देने की मांग ने धरना को नई दिशा दी।
प्रशासन से की गई मांगें
प्रदर्शन के अंत में राज्य सरकार से सभी लंबित बकायों का भुगतान करने, दोषी पदाधिकारियों के खिलाफ जांच और कड़ी कानूनी कार्रवाई की मांग की गई।
मनोज सिंह यादव का ऐलान – आंदोलन होगा और तेज़
अपने भाषण में वार्ड महासंघ संरक्षक मनोज सिंह यादव ने दो टूक कहा,
"पंचायत प्रतिनिधियों के अधिकारों का हनन अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यदि सरकार ने जल्द ठोस कदम नहीं उठाया, तो यह आंदोलन और तेज़ किया जाएगा।"
धरने में उपस्थित प्रमुख नेता:
रजनीश पांडे (प्रदेश सचिव), अजय सिंह (मगध प्रमंडल अध्यक्ष), अभय पासवान (औरंगाबाद जिला अध्यक्ष), दुलारचंद सिंह, रानी देवी, ओमप्रकाश पप्पू, संतोष कुमार, सुशीला देवी, विनोद चौधरी, अनिल गुप्ता, मिथिलेश सिंह, धनंजय कुमार, शमशाद अहमद, दारा सिंह, शोभा देवी, बुटाई यादव, मुरारी राम, आरती कुमारी सहित अनेक वार्ड सदस्य।
यह धरना पंचायत प्रतिनिधियों की आवाज को न सिर्फ जिला स्तर पर बल्कि राज्य स्तर तक पहुंचाने की एक सशक्त पहल रही। यदि प्रशासन ने इन मांगों को गंभीरता से नहीं लिया, तो आने वाले दिनों में यह आंदोलन बिहार की पंचायत राजनीति की दिशा और दशा बदल सकता है।
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रिपोर्ट: सतवीर सिंह | अरवल