अरवल। बिहार में मतदाता विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान के खिलाफ आज महागठबंधन और ट्रेड यूनियन संगठनों ने राज्यव्यापी बिहार बंद और चक्का जाम का आह्वान किया। अरवल में इसका व्यापक असर देखा गया, जहां सुबह से ही रसोइया, आंगनवाड़ी सेविका, आशा कार्यकर्ता, ट्रेड यूनियन सदस्य और महागठबंधन के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए और भगत सिंह चौक पर चक्का जाम कर दिया।
प्रदर्शनकारियों ने दुकानदारों से बंद में सहयोग की अपील की और संविधान विरोधी कदमों के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की।
बंदी के दौरान एक जनसभा का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता भाकपा-माले के राज्य कमेटी सदस्य कामरेड रविंद्र यादव ने की।
सभा को संबोधित करते हुए अरवल के विधायक व भाकपा माले के वरिष्ठ नेता कामरेड महानंद सिंह ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार लगातार गरीब, मजदूर, किसान और वंचित तबकों पर जनविरोधी नीतियां थोप रही है। पहले श्रम कानूनों में बदलाव, कृषि कानून, महंगाई, बेरोजगारी और अब मतदाता सूची से करोड़ों गरीबों को बाहर करने की साजिश रची जा रही है।
उन्होंने कहा कि मतदाता गहन पुनरीक्षण के नाम पर 11 प्रकार के दस्तावेजों की मांग की जा रही है, जो गरीबों और प्रवासी मजदूरों के पास नहीं है। इससे करोड़ों लोग मताधिकार से वंचित हो जाएंगे, जिससे उनकी नागरिकता, पेंशन, राशन और सम्मानजनक जीवन का अधिकार भी छिन जाएगा।
महानंद सिंह ने आरोप लगाया कि यह फैसला चुनाव आयोग ने मोदी सरकार के इशारे पर लिया है और यह संविधान तथा लोकतंत्र के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि जब तक यह निर्णय वापस नहीं लिया जाता, तब तक महागठबंधन सड़कों पर संघर्ष करता रहेगा।
सभा को राजद के पूर्व विधायक रविंद्र सिंह, जगजीवन राम, घनश्याम वर्मा, परवीन कुमार, उमेश पासवान, अर्जुन सिंह, माले के जितेंद्र यादव, रामकुमार वर्मा, लीला वर्मा, शाह शाद, टुन्ना शर्मा, सीपीआई से दीनानाथ सिंह, कांग्रेस से मो. निसार अहमद और VIP पार्टी से सुभाष चौधरी सहित दर्जनों नेताओं ने संबोधित किया।
इस मौके पर राजद, माले, कांग्रेस और अन्य घटक दलों के सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद रहे। सभा में सामाजिक न्याय कार्यकर्ता सुबोध यादव ने भी सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना की।
सभा के समापन पर यह संकल्प लिया गया कि लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए आंदोलन तेज किया जाएगा।
रिपोर्ट: सतवीर सिंह