शेयर बाजार ऊंचाई पर, निवेशक गर्त में: महंगे IPO, OFS और फंड हाउसों का खेल उजागर
बाजार रिकॉर्ड पर, लेकिन सच्चाई डरावनी
भारतीय शेयर बाजार इस समय एक अजीब और खतरनाक विरोधाभास से गुजर रहा है। सेंसेक्स और निफ्टी अपने ऑल टाइम हाई के आसपास मंडरा रहे हैं, लेकिन अगर बाजार के अंदर झांककर देखें तो तस्वीर बिल्कुल उलट है।
बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स, जिसमें 1200 से ज्यादा कंपनियां शामिल हैं, साल 2025 में अब तक करीब 13% टूट चुका है, जबकि बाजार में लिस्टेड 80% से अधिक शेयर मंदी के चंगुल में हैं।
यानी इंडेक्स चमक रहे हैं, लेकिन निवेशक कराह रहे हैं।
मजबूत अर्थव्यवस्था, फिर भी बाजार बेहाल
यह स्थिति तब है, जब भारतीय अर्थव्यवस्था के लगभग सभी संकेतक सकारात्मक हैं—
- GDP ग्रोथ 8% के आसपास
- स्थिर केंद्र सरकार
- महंगाई नियंत्रण में
- ब्याज दरों में कटौती
- रिकॉर्ड मानसून
- इनकम टैक्स और GST में राहत
- कच्चे तेल की कीमतें नीचे
- कॉर्पोरेट कमाई में सुधार
इतने पॉजिटिव फैक्टर्स के बावजूद रुपया लगातार कमजोर हो रहा है और शेयर बाजार में व्यापक गिरावट जारी है। सवाल है—आखिर गड़बड़ कहां है?
इंडिया ग्रोथ स्टोरी की हवा कौन निकाल रहा?
मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस पूरी स्थिति के पीछे एक संगठित खेल चल रहा है।
लालची मर्चेंट बैंकर, प्रमोटर और बड़े फंड हाउस मिलकर महंगे IPO और OFS के जरिए रिटेल निवेशकों को फंसा रहे हैं।
कुछ चुनिंदा हैवीवेट शेयरों को ऊपर रखकर सेंसेक्स-निफ्टी को सहारा दिया जा रहा है, ताकि बाजार का माहौल सकारात्मक दिखे और उसी माहौल में निवेशकों को ओवरप्राइस्ड IPO परोस दिए जाएं।
30 साल पहले भी हुआ था ऐसा खेल
1992–95 के दौरान भी ऐसा ही कार्पोरेट लूट का दौर देखा गया था, जिसके बाद भारतीय शेयर बाजार को वर्षों तक मंदी झेलनी पड़ी।
तब भी घोटाले हुए, लेकिन फर्क इतना था कि उस दौर में कई IPO वाजिब वैल्यूएशन पर आते थे।
आज हालात और भी खराब हैं—
घाटे में चल रही कंपनियों के IPO हजारों रुपये के प्रीमियम पर उतारे जा रहे हैं।
IPO बूम या निवेशकों की लूट?
आंकड़े चौंकाने वाले हैं—
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2020–2025:
- 340 IPO
- ₹5.41 ट्रिलियन जुटाए गए
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2000–2020 (20 साल):
- 658 IPO
- ₹4.55 ट्रिलियन
सबसे बड़ी चिंता यह है कि 63% पैसा OFS के जरिए गया, यानी सीधे प्रमोटरों और विदेशी निवेशकों की जेब में।
सिर्फ 2024–25 में ही करीब ₹2 ट्रिलियन OFS लाया गया।
44% IPO निवेशकों के लिए घाटे का सौदा
पेटीएम, ओला, नायका, ग्लोटिस, ड्रीमफॉक्स, आइडियाफोर्ज, होनासा, ब्रेनबीस, डैम कैपिटल जैसे कई हाई-प्रोफाइल IPO आज अपने इश्यू प्राइस से नीचे ट्रेड कर रहे हैं।
इनमें निवेश करने वाले करोड़ों रिटेल निवेशकों की गाढ़ी कमाई डूब चुकी है, लेकिन—
👉 न SEBI सख्ती दिखा रहा है
👉 न सरकार कोई ठोस कदम उठा रही है
फंड मैनेजरों का दोहरा चरित्र
बड़े फंड हाउस कहते हैं कि भारतीय बाजार महंगा है, इसलिए FII बिकवाली कर रहे हैं।
लेकिन सच्चाई यह है—
- निफ्टी-50 का PE करीब 21
- मिडकैप-स्मॉलकैप का PE 30–32
इसके बावजूद वही फंड मैनेजर 50–200 PE वाले IPO में निवेश कर रहे हैं।
सवाल उठता है—
👉 किस लालच में?
👉 किसके फायदे के लिए?
SIP और म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए खतरा
हर महीने SIP के जरिए आ रहा हजारों करोड़ रुपये का पैसा बड़ी मात्रा में IPO और OFS में लगाया जा रहा है।
नतीजा—
- म्यूचुअल फंड रिटर्न घट रहे हैं
- मार्केट से लिक्विडिटी सूख रही है
- पैसा देश की ग्रोथ की बजाय कुछ चुनिंदा पूंजीपतियों तक सीमित हो रहा है
यह ट्रेंड अगर जारी रहा, तो बड़ी मंदी की नींव अभी से पड़ चुकी है।
वित्त मंत्री की चिंता, लेकिन कार्रवाई नदारद
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कई बार कह चुकी हैं कि निजी निवेश कमजोर है।
लेकिन महंगे IPO और OFS पर अब तक कोई ठोस नीति या नियंत्रण नहीं दिखा।
OFS से निकला पैसा डॉलर में बाहर जा रहा है और यही रुपये की कमजोरी की एक बड़ी वजह बन रहा है।
निष्कर्ष: निवेशकों के लिए चेतावनी
शेयर बाजार की मौजूदा तेजी एक भ्रम हो सकती है।
अगर IPO और OFS के इस अनियंत्रित खेल पर जल्द लगाम नहीं लगी, तो—
👉 रिटेल निवेशक सबसे बड़ा शिकार होगा
👉 इंडिया ग्रोथ स्टोरी को गहरी चोट लगेगी
👉 और बाजार एक लंबी मंदी की ओर बढ़ सकता है
अब सवाल सिर्फ बाजार का नहीं, भरोसे का है।