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अरवल में अनाज घोटाले का मामला उलझा, पूर्व थाना अध्यक्ष व जिला प्रबंधक पर कोर्ट ने लिया संज्ञान


अरवल में एफसीआई गोदाम से जुड़े कथित अनाज घोटाले का मामला एक अप्रत्याशित मोड़ ले चुका है। जिन अधिकारियों ने पहले अनियमितताओं की जांच करते हुए सहायक मैनेजर पर आरोप लगाए थे—अब उन्हीं पर न्यायालय ने गंभीर धाराओं में संज्ञान ले लिया है। इस घटनाक्रम ने जिले में प्रशासनिक कार्यप्रणाली और जाँच प्रक्रियाओं को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

व्यवहार न्यायालय, अरवल के अधिवक्ता रंजय कुमार द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक शिकायतकर्ता हरिशंकर सिंह, सहायक मैनेजर (एफसीआई), ने जिला प्रबंधक अमरेंद्र कुमार श्रीवास्तव और तत्कालीन थाना अध्यक्ष अवधेश कुमार पर अनाज की हेराफेरी तथा प्राथमिकी दर्ज न करने के आरोप लगाए थे। उन्होंने थाना अध्यक्ष के समक्ष आवेदन दिया था, परंतु मामले को दर्ज नहीं किया गया।

इससे पहले वर्ष 2023 में जिला प्रबंधक अमरेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने अपनी जांच रिपोर्ट के आधार पर हरिशंकर सिंह पर लगभग 1 करोड़ 82 लाख रुपये मूल्य के चावल और गेहूं की हेराफेरी का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिसके बाद हरिशंकर सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। ज़मानत पर रिहा होने के बाद उन्होंने पूरा मामला न्यायालय में चुनौती दी।

विद्वान अधिवक्ता रंजय कुमार की ओर से मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, अरवल के समक्ष दायर परिवाद पत्र संख्या 262/2024 पर सुनवाई करते हुए न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी, अरवल—श्रीमती उर्मिला आर्या—ने 15 नवंबर 2025 को दोनों अधिकारियों के विरुद्ध प्रथम दृष्टया अपराध पाते हुए संज्ञान लिया है।

इन पर भारतीय दंड संहिता की गंभीर धाराएँ—120(B), 294, 323, 341, 409, 413, 414, 420, 467, 468, 469, 471, 504, 506/34—लागू की गई हैं। अदालत ने दोनों अधिकारियों को तलब करते हुए सम्मन जारी किया है।

दिलचस्प यह है कि जिस जांच दल की रिपोर्ट पर पहले कार्रवाई हुई थी—उसी दल के सदस्य भी अब संदेह के घेरे में आ सकते हैं। परिवादी ने CrPC की धारा 319 के तहत अन्य संभावित आरोपितों को भी शामिल करने का अनुरोध किया है। इससे मामला और व्यापक तथा जटिल होने की संभावना बढ़ गई है।

अरवल जिले में यह मामला प्रशासनिक ईमानदारी और जांच प्रक्रियाओं की निष्पक्षता पर गहरी बहस छेड़ रहा है। अब सभी की निगाहें अदालत की आगामी कार्रवाई पर टिकी हैं, जो यह तय करेगी कि इस कथित अनाज घोटाले की असल ज़िम्मेदारी किसकी है।


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