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डॉलर के मुकाबले रुपये में ऐतिहासिक गिरावट, पहली बार 90 के पार पहुंची भारतीय मुद्रा

नई दिल्ली: भारतीय रुपये ने बुधवार को विदेशी मुद्रा बाजार में नया रिकॉर्ड निचला स्तर छू लिया। शुरुआती कारोबार में रुपया डॉलर के मुकाबले 90.14 प्रति डॉलर तक गिर गया, जो अब तक का सबसे कमजोर स्तर है। इससे पहले मंगलवार को भी रुपया 89.94 तक गिरा था और पहली बार 90 के स्तर को पार कर गया था। लगातार बढ़ती डॉलर की मांग, विदेशी पूंजी की निकासी और वैश्विक बाजारों में अमेरिकी मुद्रा की मजबूती ने रुपये पर दबाव बढ़ा दिया है।

डॉलर की मजबूती और एफपीआई बिकवाली बढ़ी

बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि आयातकों, कंपनियों और विदेशी निवेशकों (FPI) की ओर से बढ़ी डॉलर मांग ने रुपये को कमजोर कर दिया है। विदेशी निवेशक भारतीय शेयर और बॉन्ड बाजार से पैसे निकाल रहे हैं, जिससे मुद्रा पर अतिरिक्त दबाव बन रहा है। वहीं, अमेरिकी अर्थव्यवस्था के मजबूत संकेत और डॉलर इंडेक्स में तेजी के कारण वैश्विक स्तर पर भी डॉलर सुरक्षित निवेश के रूप में उभर रहा है।

दिलचस्प बात यह है कि कई मौकों पर डॉलर इंडेक्स कमजोर होने के बावजूद रुपया संभल नहीं पा रहा। विश्लेषक इसे भारत-अमेरिका ट्रेड डील की बातचीत में रुकावट और निकट भविष्य में विदेशी निवेश के कमजोर माहौल से जोड़कर देख रहे हैं।

ट्रेडिंग सेशन में उतार-चढ़ाव

बुधवार सुबह रुपया पिछले बंद स्तर 89.87 के मुकाबले 89.97 प्रति डॉलर पर खुला। कुछ ही मिनटों में यह फिसलकर 90.14 तक पहुंच गया। यह पहली बार है जब घरेलू मुद्रा ने 90 का मनोवैज्ञानिक स्तर पार किया है, जिसे बाजार के लिए नकारात्मक संकेत माना जा रहा है।

एमपीसी बैठक और फेड के फैसले पर नजर

रुपये की कमजोर होती स्थिति के बीच बाजार की नजर अब रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक पर है, जो आज से शुरू हो रही है। 5 दिसंबर को नीतिगत फैसले घोषित किए जाएंगे। अगर आरबीआई ब्याज दरों में कटौती के संकेत देता है, तो विदेशी निवेशकों की बिकवाली और बढ़ सकती है, जिससे रुपये पर और दबाव पड़ सकता है।

उधर, अमेरिकी फेडरल रिजर्व भी 10 दिसंबर को आर्थिक दिशा तय करने वाला अहम बयान देने वाला है। बाजार में धारणा है कि यदि फेड कड़ा रुख अपनाता है, तो डॉलर और मजबूत होगा और उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं पर असर बढ़ेगा।

फिलहाल रुपये की गिरावट ने सरकार और निवेशकों दोनों की चिंता बढ़ा दी है, जबकि बाजार यह देखना चाहता है कि आरबीआई इस दबाव के बीच क्या कदम उठाता है।

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