मुर्शिदाबाद में ‘बाबरी जैसी मस्जिद’ का शिलान्यास, चंदे के 11 बक्सों का वीडियो सामने आने से बढ़ा सियासी तूफान; हुमायूं कबीर फरवरी में 1 लाख लोगों से कुरान पाठ कराने की तैयारी में
मुर्शिदाबाद (प. बंगाल)। पश्चिम बंगाल की राजनीति एक बार फिर ध्रुवीकरण की कगार पर पहुंच गई है। मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा क्षेत्र में 6 दिसंबर को निलंबित TMC विधायक हुमायूं कबीर द्वारा ‘बाबरी जैसी मस्जिद’ की नींव रखने के बाद अब चंदा संग्रह का एक वीडियो सामने आया है, जिससे विवाद और तीखे हो गए हैं। इसी बीच कबीर ने फरवरी 2026 में 1 लाख लोगों से कुरान पाठ कराने की घोषणा की है और दावा किया है कि इसके बाद ही मस्जिद निर्माण की अगली प्रक्रिया शुरू होगी।
यह विवाद पिछले एक वर्ष से जारी है, लेकिन 2025 के अंतिम महीनों में यह राजनीतिक संघर्ष का केंद्र बन गया है। बाबरी विध्वंस की 33वीं बरसी पर किए गए इस शिलान्यास ने राज्य के राजनीतिक दलों—टीएमसी, बीजेपी, कांग्रेस और AIMIM—को नए सिरे से आमने-सामने ला खड़ा किया है।
सुरक्षा घेरे में शिलान्यास, मंच पर मौलवियों की मौजूदगी
6 दिसंबर को बेलडांगा में हुए समारोह में हुमायूं कबीर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच पहुंचे। मंच पर स्थानीय मौलवी मौजूद थे। कबीर ने फीता काटकर औपचारिक शिलान्यास किया और इसे ‘मुस्लिम भावनाओं का सम्मान’ बताया। उसी दिन से इस पूरे कार्यक्रम की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगे।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग शामिल हुए, जिनमें से कई लोगों ने खुले तौर पर चंदा भी दिया। इसी चंदे से जुड़ा एक वीडियो बाद में सामने आया है।
11 पेटी चंदा इकट्ठा होने का दावा, नोट गिनते दिखे लोग
शिलान्यास कार्यक्रम के बाद कबीर के आधिकारिक फेसबुक पेज पर एक वीडियो पोस्ट किया गया। वीडियो में कुछ लोग नोटों के बड़े-बड़े बंडल गिनते दिखाई दे रहे हैं। मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि—
- कार्यक्रम में 11 लकड़ी की पेटियों में चंदा भरा गया
- करीब 30 लोग और नोट गिनने की मशीनें लगानी पड़ीं
- दावा है कि यह राशि मस्जिद निर्माण के शुरुआती चरण के लिए जुटाई गई
हालांकि चंदे की वास्तविक राशि का कोई आधिकारिक खुलासा अभी तक नहीं हुआ है। विपक्ष ने इसे “धार्मिक उन्माद फैला कर फंडिंग जुटाने” का आरोप बताया है, जबकि कबीर के समर्थकों का कहना है कि यह “जनभागीदारी” का प्रमाण है।
फरवरी में 1 लाख लोगों से ‘कुरान पाठ’ कराने की घोषणा
शिलान्यास के बाद हुमायूं कबीर ने रविवार को एक और बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि—
“फरवरी में एक लाख लोग कुरान का पाठ करेंगे। इसके बाद ही बाबरी मस्जिद जैसी मस्जिद का निर्माण शुरू होगा।”
उन्होंने आगे कहा कि:
- वे जल्द ही नई राजनीतिक पार्टी बनाने वाले हैं
- नई पार्टी का फोकस “मुस्लिम समाज के हितों की रक्षा” पर होगा
- वे 135 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं
- AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी से भी उनकी बातचीत जारी है और संभावित गठबंधन हो सकता है
कबीर का यह बयान बंगाल की राजनीति में एक नए मुस्लिम-केन्द्रित दल की संभावनाओं पर चर्चा को हवा दे रहा है।
पोस्टर में ‘बाबरी मस्जिद शिलान्यास’ लिखे जाने से विवाद भड़का
बेलडांगा में इस समारोह से पहले कई जगह पोस्टर लगे थे। पोस्टरों पर लिखा था—
“6 दिसंबर को बेलडांगा में बाबरी मस्जिद का शिलान्यास समारोह।”
इन पोस्टरों में:
- हुमायूं कबीर को मुख्य आयोजक दिखाया गया
- बाबरी मस्जिद की तस्वीर का उपयोग किया गया
- कार्यक्रम स्थल और समय की खुली घोषणा की गई
इससे राजनीतिक माहौल गर्म हो गया।
बीजेपी नेताओं ने इसका कड़ा विरोध किया और आरोप लगाया कि:
“बंगाल में टीएमसी नेता मुस्लिम वोटों को एकजुट करने के लिए सांप्रदायिक राजनीति कर रहे हैं।”
वहीं कांग्रेस के कुछ स्थानीय नेताओं ने कबीर के कदम का समर्थन किया और कहा कि “धार्मिक स्वतंत्रता हर नागरिक का अधिकार है।”
टीएमसी ने दिया बयान: ‘कबीर के बयान से पार्टी का कोई संबंध नहीं’
पोस्टर विवाद के बाद 3 दिसंबर को TMC ने आधिकारिक बयान जारी कर मामले से खुद को पूरी तरह अलग बताया। पार्टी नेताओं ने साफ कहा कि:
- हुमायूं कबीर की घोषणा निजी है
- पार्टी किसी प्रकार के सांप्रदायिक मुद्दों में नहीं पड़ती
- चुनाव नजदीक आने पर कबीर अपने लिए राजनीतिक जमीन तैयार करने में लगे हैं
बताया गया कि कबीर पार्टी पर दबाव बनाकर रेठनगर सीट से टिकट पाने की कोशिश कर रहे थे, जबकि वर्तमान में वे भरतपुर सीट से विधायक हैं।
4 दिसंबर को TMC ने कबीर को निलंबित कर दिया
जब विवाद और बढ़ा, तो TMC ने कड़ा कदम उठाते हुए कबीर को पार्टी से निलंबित कर दिया।
कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम ने कहा:
“टीएमसी सांप्रदायिक राजनीति में विश्वास नहीं करती। ऐसे बयान पार्टी लाइन के खिलाफ हैं।”
कबीर ने निलंबन पर कहा:
“मैं अपने बयान पर कायम हूं। 22 दिसंबर को अपनी नई पार्टी की घोषणा करूंगा। मैं TMC और बीजेपी, दोनों के खिलाफ लड़ाई लड़ूंगा।”
विवादित भाषण भी आए चर्चा में – ‘100 मुसलमान शहीद होंगे तो 500 को ले जाएंगे’
जब मामला तूल पकड़ने लगा, तब दिसंबर से पहले दिए गए कबीर के बयान भी तेजी से वायरल होने लगे।
28 नवंबर 2025 को उन्होंने कहा था:
“अगर कोई हमें रोकने की कोशिश करेगा तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। अगर 100 मुसलमान शहीद होंगे, तो हम अपने साथ 500 लोगों को ले जाएंगे।”
इस बयान की व्यापक आलोचना हुई और कई राजनीतिक विश्लेषकों ने इसे “सीधे-सीधे हिंसा की धमकी” बताया। विपक्ष ने इसे कानून-व्यवस्था के लिए खतरा बताया।
पुराने विवाद फिर उभरे—2024 का ‘भागीरथी में डुबो दूंगा’ बयान
यह पहली बार नहीं है जब हुमायूं कबीर विवादों में आए हों।
2024 लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान उन्होंने कहा था:
“मैं राजनीति छोड़ दूंगा अगर दो घंटे में तुम्हें भागीरथी नदी में डुबो न दिया।
तुम 30% हो, हम 70% हैं। मैं तुम्हें शक्तिपुर में रहने नहीं दूंगा।”
इस बयान के बाद:
- चुनाव आयोग ने नोटिस जारी किया
- TMC ने तुरंत बयान से दूरी बनाई
- विपक्ष ने कबीर पर सांप्रदायिक माहौल खराब करने का आरोप लगाया
मस्जिद विवाद की शुरुआत—नवंबर 2024 से
यह पूरा मामला नवंबर 2024 में शुरू हुआ था, जब कबीर ने अयोध्या की बाबरी मस्जिद की छोटी प्रतिकृति बनाने की बात कही थी।
जब ‘बाबरी’ नाम पर विवाद हुआ, तो कबीर ने कहा:
“बाबरी मुसलमानों के लिए भावनात्मक मुद्दा है।”
इसी बयान के बाद दिसंबर 2024 में BJP ने इसका जवाब देते हुए मुर्शिदाबाद में राम मंदिर बनाने की घोषणा की।
हालांकि बाद में BJP नेता शंकर घोष ने कहा:
“राम मंदिर को मस्जिद के जवाब के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। राम मंदिर संस्कृति का हिस्सा है, जबकि बाबरी मस्जिद का इतिहास विवादित है। ऐसे में बंगाल में बाबरी जैसे ढांचे का निर्माण सवाल खड़े करता है।”
विपक्ष की प्रतिक्रिया—BJP ने कहा ‘राजनीतिक ध्रुवीकरण की साजिश’
बीजेपी नेताओं का कहना है कि कबीर आगामी विधानसभा चुनाव से पहले मुस्लिम वोटों को एकमुश्त करने की कोशिश कर रहे हैं।
BJP का आरोप है कि—
- यह बंगाल में धार्मिक ध्रुवीकरण का प्रयास
- चंदा जुटाने के नाम पर “भीड़ की राजनीति”
- मुसलमानों को भावनात्मक रूप से उकसाने की रणनीति
- TMC और AIMIM की पीछे से सियासी सेटिंग
हालांकि AIMIM और TMC दोनों ने इन आरोपों को खारिज किया है।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया—“धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान जरूरी”
कांग्रेस के कुछ स्थानीय नेताओं ने कबीर का समर्थन किया और कहा:
“किसी भी समुदाय के धार्मिक निर्माण पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।”
लेकिन प्रदेश स्तर पर कांग्रेस ने कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की, जिससे पार्टी की अंदरूनी असहमति साफ जाहिर होती है।
स्थानीय स्तर पर बढ़ी बेचैनी—हिंदू और मुस्लिम समुदायों में तनाव
बेलडांगा और आसपास के इलाकों में दोनों समुदायों के बीच चर्चा और बहस तेज हो गई है। प्रशासन ने कई संवेदनशील इलाकों में:
- पुलिस की तैनाती बढ़ाई
- रात में पेट्रोलिंग के निर्देश दिए
- सोशल मीडिया मॉनिटरिंग कड़ा किया
- झूठी खबर फैलाने वालों पर कार्रवाई शुरू की
स्थानीय प्रशासन ने कहा कि “स्थिति नियंत्रण में है।”
2026 चुनाव की आहट—क्या हुमायूं कबीर नया मुस्लिम मोर्चा बना पाएंगे?
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि:
- कबीर मुर्शिदाबाद, मालदा, उत्तर दिनाजपुर और कुछ कोलकाता क्षेत्रों में मुस्लिम वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रहे हैं
- यदि वे नई पार्टी बनाते हैं, तो यह TMC और कांग्रेस दोनों को नुकसान पहुंचा सकती है
- AIMIM से गठबंधन होने पर पार्टी मुस्लिम-बहुल इलाकों में महत्वपूर्ण चुनौती बन सकती है
कई विशेषज्ञों का मानना है कि बंगाल में मुस्लिम वोट विभाजन होने पर BJP को लाभ मिल सकता है।
आगे क्या?
मामला अब सिर्फ मस्जिद निर्माण तक सीमित नहीं रहा। यह:
- राजनीतिक ध्रुवीकरण
- धार्मिक पहचान
- आगामी चुनाव
- फंडिंग और चंदा
- AIMIM के साथ संभावित गठबंधन
- TMC से कबीर की दूरी
- और प्रशासनिक दबाव
सभी को जोड़कर एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन चुका है।
कबीर की 1 लाख लोगों से कुरान पाठ कराने की घोषणा और नई पार्टी के गठन की तैयारी ने साफ संकेत दे दिए हैं कि यह विवाद अब और गहरा सकता है।
इसके साथ ही राज्य सरकार और चुनाव आयोग की निगरानी भी बढ़ गई है ताकि स्थिति नियंत्रण में रहे।