स्वास्थ्य और स्वच्छता पर 10 पंक्तियाँ
स्वास्थ्य और स्वच्छता मानव जीवन के दो ऐसे महत्वपूर्ण स्तंभ हैं, जिन पर एक स्वस्थ, सुरक्षित और प्रगतिशील समाज का निर्माण टिका होता है। अच्छा स्वास्थ्य केवल बीमारी से दूर रहने का नाम नहीं है, बल्कि यह शरीर, मन और पर्यावरण के संतुलित होने की अवस्था है। इसी तरह स्वच्छता का अर्थ केवल अपने घर या आसपास की सफाई तक सीमित नहीं है, बल्कि यह व्यक्तिगत स्वच्छता, सामुदायिक स्वच्छता और पर्यावरणीय शुद्धता, तीनों को समाहित करती है।
व्यक्तिगत स्वच्छता में नियमित स्नान करना, साफ कपड़े पहनना, हाथों को साबुन से धोना, दाँतों की सफाई तथा नाखूनों को समय-समय पर काटना शामिल है। इन छोटी-छोटी आदतों को अपनाकर हम कई तरह की बीमारियों जैसे संक्रमण, डायरिया, फ्लू और त्वचा रोगों से बच सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी साफ-सफाई को हेल्दी लाइफस्टाइल का आधार मानता है।
सामुदायिक स्वच्छता भी उतनी ही आवश्यक है। गंदगी, कूड़ा-करकट और खुले में शौच जैसी आदतें न केवल पर्यावरण को प्रदूषित करती हैं बल्कि महामारी फैलने का बड़ा कारण भी बनती हैं। इसीलिए सरकार द्वारा चलाई गई ‘स्वच्छ भारत मिशन’ जैसे अभियान समाज को स्वच्छ और स्वास्थ्य-सुरक्षित बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं।
स्वस्थ जीवन के लिए पौष्टिक आहार, नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद और तनाव-मुक्त जीवनशैली भी अत्यंत आवश्यक है। स्वच्छता और स्वास्थ्य का आपस में गहरा संबंध है—जहां स्वच्छता होगी, वहां रोगों का खतरा कम होगा और जहां रोग कम होंगे, वहां स्वास्थ्य और उत्पादकता में वृद्धि होगी।
अंत में, यह समझना जरूरी है कि स्वास्थ्य और स्वच्छता की शुरुआत हमारे अपने घरों और हमारी व्यक्तिगत आदतों से होती है। यदि हम सभी स्वच्छता को जीवन का हिस्सा बना लें और स्वस्थ आदतों को अपनाएं, तो न केवल हम स्वयं स्वस्थ रहेंगे बल्कि समाज और देश को भी स्वस्थ और समृद्ध बनाने में योगदान दे सकेंगे।