ट्रांसफार्मर बंद होने से मोकरी गांव बिजली संकट से जूझ रहा, ग्रामीणों का फूटा आक्रोश

Satveer Singh
ट्रांसफार्मर बंद होने से मोकरी गांव बिजली संकट से जूझ रहा, ग्रामीणों का फूटा आक्रोश

अरवल। जिले के मोकरी गांव में पिछले पांच महीनों से बिजली संकट गहराया हुआ है। गांव का मुख्य ट्रांसफार्मर खराब होने के कारण ग्रामीणों को अंधेरे में रहना पड़ रहा है। लगातार शिकायतों और विभागीय अधिकारियों से गुहार लगाने के बावजूद अब तक इस समस्या का समाधान नहीं हुआ है, जिससे ग्रामीणों में जबरदस्त आक्रोश देखा जा रहा है।

ग्रामीणों के अनुसार, ट्रांसफार्मर बंद होने के कारण वैकल्पिक ट्रांसफार्मर से बिजली आपूर्ति की जा रही है, लेकिन अधिक लोड के चलते वह भी बार-बार फॉल्ट कर जा रहा है। इससे कई बार बिजली आपूर्ति पूरी तरह बाधित हो जाती है। बीती रात करीब 8 बजे से बिजली गायब है, जिससे ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। गर्मी, पानी और रात के अंधेरे ने जनजीवन को बेहाल कर दिया है।

जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से भी किया संपर्क

ग्रामीणों ने बताया कि वे कई बार विभागीय कर्मचारियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से फोन के माध्यम से संपर्क करने की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन उनकी शिकायतों की कोई सुनवाई नहीं हो रही। इससे क्षुब्ध होकर कुछ ग्रामीणों ने विद्युत विभाग के कार्यालय पहुंचकर संबंधित कनीय अभियंता (JE) को ज्ञापन सौंपा।


सांसद प्रतिनिधि समेत राजद नेताओं ने किया हस्तक्षेप

इस गंभीर समस्या को लेकर मोकरी गांव के ग्रामीणों के साथ सांसद प्रतिनिधि सह अध्यक्ष उर्मिला देवी फाउंडेशन राजू रंजन पासवान, राजद नेता, अरमान कादरी समेत साथ में अन्य ग्रामीण लोगों ने कनीय अभियंता से मुलाकात की और स्थिति की जानकारी दी। उन्होंने विभागीय लापरवाही पर नाराजगी जताते हुए तत्काल कार्रवाई की मांग की।

ग्रामीणों की तीन प्रमुख मांगें:

1. गांव में नया या मरम्मत किया हुआ ट्रांसफार्मर जल्द से जल्द लगाया जाए।
2. 11,000 वोल्ट की क्षतिग्रस्त केबल को तुरंत बदला जाए।
3. विभागीय लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई हो।

उग्र आंदोलन की चेतावनी

ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो वे उग्र आंदोलन करेंगे और बिजली विभाग कार्यालय के सामने धरना-प्रदर्शन करेंगे।

प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर सवाल

इस पूरे मामले में जिला प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की चुप्पी भी सवालों के घेरे में है। अब देखना यह है कि बिजली विभाग इस गंभीर जनसमस्या पर कब तक संज्ञान लेता है और मोकरी गांव को अंधेरे से कब निजात मिलती है।

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