दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में आयोजित G20 शिखर सम्मेलन में भारत ने कूटनीतिक स्तर पर उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल कीं। संयुक्त घोषणा-पत्र में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के व्यापक सुधार की आवश्यकता दोहराते हुए कहा गया कि 21वीं सदी की वास्तविकताओं के अनुरूप एशिया-प्रशांत क्षेत्र को अधिक प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। यह रुख भारत की लंबे समय से चली आ रही स्थायी सदस्यता की मांग को मजबूती देता है।
घोषणा-पत्र में अफ्रीकी यूनियन को G20 का पूर्ण सदस्य बनाया गया, जो भारत की 2023 की अध्यक्षता के दौरान उठाए गए प्रस्ताव के अनुरूप है। आतंकवाद के सभी रूपों की कड़ी निंदा कर भारत की सुरक्षा चिंताओं को स्पष्ट समर्थन दिया गया। साथ ही CDRI, यानी Coalition for Disaster Resilient Infrastructure, को भी दस्तावेज़ में स्थान देकर भारत की वैश्विक नेतृत्वकारी भूमिका को मान्यता दी गई।
डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर और AI पर सुरक्षित, पारदर्शी और जवाबदेह ढांचे की जरूरत पर सहमति जताई गई। भारत की UPI और आधार आधारित डिजिटल मॉडल की वैश्विक उपयोगिता को भी अप्रत्यक्ष समर्थन मिला। क्रिटिकल मिनरल्स पर वैश्विक ढांचा तैयार करने का निर्णय उन देशों के लिए महत्वपूर्ण माना गया है, जो ऊर्जा संक्रमण और सेमीकंडक्टर निर्माण के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं—भारत इनमें अग्रणी है।
सम्मेलन में वैश्विक शांति और स्थिरता पर भी जोर दिया गया। यूक्रेन, गाज़ा और अफ्रीका के कई संघर्ष क्षेत्रों में न्यायपूर्ण एवं स्थायी समाधान की अपील की गई। विकासशील देशों की वित्तीय चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए IMF–World Bank ढांचे में सुधार और कर्ज पारदर्शिता बढ़ाने का समर्थन हुआ।
जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के लक्ष्यों को दोहराते हुए 2030 तक वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने की प्रतिबद्धता जताई गई। अंत में, सभी सदस्य देशों ने बहुपक्षवाद और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई।
