पटना। बिहार की राजनीति में भाजपा इस समय मुश्किल दौर से गुजरती दिख रही है। लंबे समय तक सत्ता में साझीदार रहने के बावजूद पार्टी न तो अपना स्वतंत्र कद बना सकी और न ही कोई सर्वमान्य चेहरा उभर पाया। सुशील मोदी के बाद पार्टी के पास पैन बिहार नेता की कमी लगातार महसूस की जा रही है। हाल के वर्षों में भाजपा ने चार नेताओं को उपमुख्यमंत्री बनाया, लेकिन उनमें से कोई भी मजबूत पहचान नहीं बना सका।
भ्रष्टाचार के आरोपों से बढ़ी परेशानी
जन सुराज के नेता प्रशांत किशोर ने भाजपा के कई बड़े नेताओं—दिलीप जायसवाल, संजय जायसवाल, मंगल पांडेय और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी—पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। इन आरोपों पर अब तक कोई ठोस सफाई नहीं दी गई है, जिससे चुनावी मौसम में पार्टी की छवि पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।
सम्राट चौधरी पर निशाना
डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी इन दिनों सबसे ज्यादा विवादों में हैं। प्रशांत किशोर ने उन पर उम्र और डिग्री में फर्जीवाड़े से लेकर एक से अधिक नाम रखने और कई हत्याओं से जुड़े होने तक के आरोप लगाए हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने दावा किया है कि सम्राट केवल सातवीं पास हैं, लेकिन उनके पास डी.लिट की डिग्री है।
इन आरोपों को लेकर भाजपा के भीतर ही विरोध के स्वर तेज हो गए हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने सम्राट से सार्वजनिक तौर पर सफाई मांगी है। उन्होंने कहा कि अगर आरोप गलत हैं तो सम्राट को अपनी डिग्रियों का सबूत दिखाना चाहिए और प्रशांत किशोर के खिलाफ मुकदमा करना चाहिए। अगर वे चुप रहते हैं, तो उन्हें पद छोड़ देना चाहिए क्योंकि इससे पार्टी और सरकार की छवि धूमिल हो रही है।
अश्विनी चौबे भी बरसे
वरिष्ठ नेता अश्विनी चौबे ने भी मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने कहा कि "कुछ लोग पार्टी में पिछले दरवाजे से आते हैं, कुछ सुधर जाते हैं, लेकिन जो नहीं सुधरते, उन्हें जनता सुधार देती है।" चौबे ने प्रशांत किशोर को भी नसीहत दी कि यदि उनके पास सबूत हैं तो अदालत का दरवाजा खटखटाएं, मीडिया की सुर्खियों से कोई बड़ा नेता नहीं बनता।
चौबे ने सम्राट को लालकृष्ण आडवाणी का उदाहरण याद दिलाते हुए कहा कि 1996 में हवाला कांड में आरोप लगने पर आडवाणी ने लोकसभा की सदस्यता छोड़ दी थी और तभी वापस लौटे जब अदालत ने उन्हें बरी किया।
अंदरूनी कलह से जूझती भाजपा
लोकसभा चुनाव के बाद से भाजपा के भीतर कलह गहराती दिख रही है। आरके सिंह और अश्विनी चौबे जैसे वरिष्ठ नेता खुले तौर पर सम्राट चौधरी की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं। इससे साफ है कि पार्टी अब न केवल विपक्षी हमलों से, बल्कि अपने ही नेताओं की नाराजगी से भी जूझ रही है।
👉 बिहार भाजपा के लिए यह संकट की घड़ी मानी जा रही है। अगर आरोपों का ठोस समाधान नहीं निकला, तो पार्टी की चुनावी रणनीति पर इसका गहरा असर पड़ सकता है।