अरवल। अरवल की सड़कों पर जनसैलाब उमड़ पड़ा, जब हजारों की संख्या में दलित, पिछड़ा, अति पिछड़ा और अल्पसंख्यक समुदाय के लोग ‘स्वाभिमान एकता एवं आक्रोश मार्च’ में शामिल हुए। इस मार्च का नेतृत्व राजू रंजन पासवान (सांसद प्रतिनिधि, अरवल) ने किया, जो लंबे समय से दलित अधिकारों की आवाज़ बन चुके हैं।
मार्च गांधी पुस्तकालय से प्रारंभ होकर समाहरणालय होते हुए ब्लॉक परिसर तक पहुंचा। आयोजन में शामिल लोगों ने हाथों में तख्तियाँ, बैनर लिए नारे लगाए –
“जातिवादियों का बहिष्कार करो”, “संविधान बचाओ – स्वाभिमान बचाओ” और “दलित उत्पीड़न बंद करो”।
क्यों निकला गया यह आक्रोश मार्च?
मार्च के आयोजकों ने बताया कि हाल के दिनों में दलितों पर अत्याचार की घटनाओं में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है।
2024-25 में दलित उत्पीड़न के मामलों में 20% की वृद्धि दर्ज की गई है और हर दिन औसतन 45 से अधिक मामले सामने आते हैं।
सारिका पासवान प्रकरण को लेकर भी भारी आक्रोश देखने को मिला, जिसमें एक स्वाभिमानी दलित युवती को उसके विचार रखने पर अपमानित किया गया।
आयोजकों ने आरोप लगाया कि भाजपा और आरएसएस जैसी संस्थाएँ जातिवादी सोच को बढ़ावा देती हैं और दलित आवाज़ों को दबाने का कार्य कर रही हैं। कथावाचकों के साथ हो रहे व्यवहार को उन्होंने “सोची-समझी साजिश” बताया।
उपस्थित प्रमुख नेता और वक्ता
मार्च का संचालन उपेंद्र पासवान ने किया। इस अवसर पर राजू रंजन पासवान, अरमान कादरी, उमेश पासवान, अजय पासवान, बसिष्ठ पासवान, अलख पासवान, रमाकांत पासवान, बिमलेश कुशवाहा, राहुल यादव, कालेन्द्र राम समेत दर्जनों समाजिक कार्यकर्ता और नेता मौजूद रहे।
वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि—
“अब वक्त आ गया है कि जो हमें अपमानित करें, उन्हें सामाजिक और राजनीतिक रूप से बहिष्कृत किया जाए। दलित, पिछड़ा, अल्पसंख्यक अब सिर्फ वोट नहीं – नेतृत्व करेगा।”
मार्च का संदेश – एकता ही शक्ति है
सभा में वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक समुदाय यदि अलग-अलग लड़ेंगे तो दबा दिए जाएंगे, लेकिन यदि एकजुट हुए, तो व्यवस्था भी झुक सकती है।
यह मार्च सिर्फ विरोध नहीं, 'क्रांति की शुरुआत' है।
समाप्ति पर हुंकार – 'जय भीम! जय संविधान!'
ब्लॉक परिसर में सभा के दौरान, “ जय भीम, जय संविधान” के नारे गूंजते रहे।
आक्रोश मार्च का समापन इस संकल्प के साथ हुआ कि अब चुप नहीं बैठा जाएगा, हर अन्याय का प्रतिकार होगा – संवैधानिक और लोकतांत्रिक तरीकों से।
रिपोर्ट:- सतवीर सिंह