भारत मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व में भारत बंद, ईवीएम, जातीय जनगणना, वक्फ संशोधन विधेयक और ब्राह्मणवाद के खिलाफ उठी आवाज

Satveer Singh
0

अरवल। जिला मुख्यालय के प्रांगण में भारत मुक्ति मोर्चा के बैनर तले सोमवार को एक दिवसीय संकेतिक भारत बंद का आयोजन किया गया। इस आंदोलन का नेतृत्व मोर्चा के जिला अध्यक्ष राकेश कुमार ने किया। कार्यक्रम में ईवीएम मशीन, केंद्र सरकार की नीतियों, ओबीसी जनगणना में देरी, ब्राह्मणवाद के वर्चस्व, बोधगया महाबोधि महाविहार पर ब्राह्मण कब्जा और वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ विरोध दर्ज कराया गया। भारत मुक्ति मोर्चा के जिला अध्यक्ष राकेश कुमार ने कहा कि “ईवीएम मशीन आज की मनुस्मृति है। इसके जरिये बहुजन समाज का वोट निष्प्रभावी कर दिया गया है। 3.5% ब्राह्मण वर्ग का सत्ता पर कब्जा असंवैधानिक है, जो मनी, माफिया, मीडिया और मशीन के सहारे कायम है।” उन्होंने कहा कि भारत में शासक वर्ग और प्रजा वर्ग के बीच स्पष्ट विभाजन है, जिसमें एससी, एसटी और ओबीसी समुदाय को योजनाबद्ध तरीके से सत्ता से दूर रखा गया है। प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार पर जाति आधारित ओबीसी जनगणना से जानबूझकर परहेज करने का आरोप लगाया। राकेश कुमार ने कहा, “एक ओबीसी प्रधानमंत्री होने के बावजूद अगर ओबीसी की गणना नहीं होती तो यह स्पष्ट करता है कि सरकार ओबीसी वर्ग को अधिकारों से वंचित रखना चाहती है। यह आरएसएस की रिमोट-कंट्रोल वाली सरकार है।” केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा डॉ. भीमराव अंबेडकर पर कथित अपमानजनक टिप्पणी को लेकर भी प्रदर्शनकारियों में रोष देखा गया। मोर्चा ने इसे एक साजिश करार दिया और कहा कि यह 2024 लोकसभा चुनाव में हुई धांधली से ध्यान भटकाने का प्रयास था। उन्होंने अमित शाह के इस्तीफे की मांग की। प्रदर्शन में बोधगया स्थित महाबोधि महाविहार पर ब्राह्मणों के नियंत्रण को लेकर भी विरोध जताया गया। मोर्चा ने मांग की कि इस ऐतिहासिक स्थल को बौद्ध अनुयायियों के हवाले किया जाए और बहुजन समाज की विरासत को मुक्त किया जाए। वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को भी संविधान के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन बताया गया। मोर्चा ने कहा कि यह विधेयक अनुच्छेद 25, 26 और 29 का उल्लंघन करता है, जो धार्मिक स्वतंत्रता और संस्कृति की रक्षा करता है। आंदोलन में दीपक कुमार, कौशल कुमार, योगेश कुमार, कुंदन कुमार सहित दर्जनों कार्यकर्ता और समर्थक शामिल हुए। आंदोलन शांतिपूर्ण रहा, लेकिन इसके जरिए भारत मुक्ति मोर्चा ने सरकार और व्यवस्था को सीधा संदेश देने की कोशिश की।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Out
Ok, Go it!
To Top