Type 1 Diabetes: बच्चों में बढ़ती ‘साइलेंट’ बीमारी, जानिए लक्षण, कारण और बचाव
आजकल कम उम्र में डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। खासकर टाइप 1 डायबिटीज एक ऐसी गंभीर बीमारी है, जिसमें शरीर लगभग पूरी तरह इंसुलिन बनाना बंद कर देता है। इंसुलिन के बिना शुगर (ग्लूकोज) कोशिकाओं तक नहीं पहुंच पाती और खून में जमा होने लगती है। यही कारण है कि यह बीमारी बच्चों और किशोरों में ज्यादा देखने को मिलती है।
क्या है टाइप 1 डायबिटीज?
टाइप 1 डायबिटीज को ऑटोइम्यून डिसऑर्डर कहा जाता है। सामान्य तौर पर हमारा इम्यून सिस्टम वायरस और बैक्टीरिया से लड़ता है, लेकिन इस बीमारी में वही सिस्टम गलती से पैंक्रियास की बीटा कोशिकाओं को दुश्मन समझकर नष्ट करने लगता है। ये बीटा कोशिकाएं ही इंसुलिन बनाती हैं।
धीरे-धीरे इंसुलिन का स्तर इतना कम हो जाता है कि शरीर को बाहर से इंसुलिन देना जरूरी हो जाता है।
डॉक्टरों के मुताबिक, जेनेटिक कारण इसका सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर हैं। अगर परिवार में किसी को टाइप 1 डायबिटीज है, तो बच्चों में इसका खतरा बढ़ जाता है। कुछ वायरल इंफेक्शन भी इम्यून सिस्टम को भ्रमित कर सकते हैं।
टाइप 1 डायबिटीज के शुरुआती लक्षण
इन संकेतों को बिल्कुल नजरअंदाज न करें:
- बहुत ज्यादा प्यास लगना
- बार-बार पेशाब आना
- तेजी से वजन कम होना
- ज्यादा भूख लगना
- थकान और चिड़चिड़ापन
- त्वचा का रूखापन
- धुंधली नजर
- घाव देर से भरना
बच्चों में उल्टी, पेट दर्द और कमजोरी भी दिख सकती है। कई बार अचानक स्थिति बिगड़कर डायबिटिक कीटोएसिडोसिस (DKA) तक पहुंच जाती है, जो जानलेवा हो सकती है।
किन जांचों से होती है पहचान?
टाइप 1 डायबिटीज की पुष्टि के लिए ये टेस्ट किए जाते हैं:
- फास्टिंग ब्लड शुगर
- पीपीबीएस (PPBS)
- HbA1c
- C-Peptide टेस्ट
- ऑटोएंटीबॉडी टेस्ट (GAD, IA2, ZNT8)
DKA की स्थिति में ब्लड और यूरिन में कीटोन बढ़ जाते हैं।
आयुर्वेद क्या कहता है?
आयुर्वेद में इसे युवावस्थाजन्य मधुमेह और धातु-क्षयजन्य रोग माना गया है। ओज की कमी, अग्नि की कमजोरी और प्रतिरक्षा असंतुलन को इसका कारण बताया गया है।
किन बातों का रखें खास ध्यान?
- भोजन नियमित और हल्का रखें
- गुनगुना पानी पिलाएं
- ठंडी चीजें और पैकेज्ड फूड से बचें
- हल्का योग और स्ट्रेचिंग कराएं
- पर्याप्त नींद जरूरी है
आयुर्वेदिक सपोर्ट के लिए वासावलेह, अमलकी चूर्ण, गुड्डुची सत्व और शतावरी घृत जैसी औषधियां वैद्य की सलाह से ली जा सकती हैं।
सबसे जरूरी बात
👉 टाइप 1 डायबिटीज का मुख्य और अनिवार्य इलाज इंसुलिन ही है।
घरेलू या आयुर्वेदिक उपाय केवल सहायक हैं, इलाज का विकल्प नहीं।
समय पर पहचान और सही इलाज से टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित बच्चे भी पूरी तरह सामान्य और एक्टिव जीवन जी सकते हैं। जागरूकता ही सबसे बड़ा बचाव है।