पंचायत चुनाव पर राज्य निर्वाचन आयोग का बड़ा ऐलान, आरक्षण को लेकर भ्रम खत्म
राज्य में पंचायत चुनाव को लेकर चल रही तमाम अटकलों और सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों के बीच राज्य निर्वाचन आयोग ने स्थिति पूरी तरह साफ कर दी है। आयोग ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि पंचायत चुनाव न तो टाले जाएंगे और न ही आरक्षण को लेकर कोई अनिश्चितता है। राज्य में पंचायतों के आम चुनाव दिसंबर 2026 से पहले हर हाल में कराए जाएंगे।
राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार सोशल मीडिया पर पंचायत आरक्षण को लेकर जो भ्रामक बातें फैलाई जा रही हैं, उनका सच्चाई से कोई संबंध नहीं है। आयोग ने जनता से अपील की है कि वे केवल आधिकारिक सूचनाओं पर ही भरोसा करें और अफवाहों से दूर रहें।
मल्टी पोस्ट EVM से होंगे पंचायत चुनाव
आयोग ने इस बार पंचायत चुनाव को और अधिक पारदर्शी, तेज और सुरक्षित बनाने के लिए मल्टी पोस्ट EVM के इस्तेमाल का फैसला किया है। इसके जरिए मुखिया, सरपंच, पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद सदस्य जैसे विभिन्न पदों के लिए मतदान प्रक्रिया आसान और भरोसेमंद होगी।
सभी पदों पर नए सिरे से लागू होगा आरक्षण
राज्य निर्वाचन आयोग ने बताया कि नियमों के तहत हर दो पंचायत चुनाव के बाद आरक्षण बदला जाता है। वर्ष 2016 और 2021 में पंचायत चुनाव हो चुके हैं, इसलिए अब 2026 से पहले होने वाले चुनाव में सभी पंचायत पदों पर नए सिरे से आरक्षण लागू किया जाएगा।
इसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अत्यंत पिछड़ा वर्ग, पिछड़ा वर्ग और महिलाओं के लिए निर्धारित आरक्षण नियमों का पूरी तरह पालन किया जाएगा।
अफवाह फैलाने वालों पर होगी कार्रवाई
आरक्षण को लेकर भ्रम फैलाने वालों को चेतावनी देते हुए आयोग ने कहा है कि गलत सूचना फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है। आयोग का कहना है कि पंचायत चुनाव लोकतंत्र की मजबूत नींव हैं और इन्हें समय पर, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से कराना उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता है।
जल्द घोषित होगा चुनाव कार्यक्रम
राज्य निर्वाचन आयोग ने जानकारी दी कि आरक्षण निर्धारण की प्रक्रिया पूरी होते ही पंचायत चुनाव की तारीखों और कार्यक्रम की औपचारिक घोषणा कर दी जाएगी।
कुल मिलाकर, आयोग के ताजा निर्देशों से यह साफ हो गया है कि पंचायत चुनाव तय समय पर होंगे, आरक्षण पूरी तरह संवैधानिक प्रक्रिया के तहत लागू किया जाएगा और किसी भी तरह के भ्रम की कोई गुंजाइश नहीं है। यह खबर राज्य की राजनीति और ग्रामीण लोकतंत्र से जुड़े लोगों के लिए बेहद अहम मानी जा रही है।