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भारत के सबसे बड़े एयरपोर्ट पर साइबर अटैक! ATC सिस्टम फेल, उड़ानें घंटों अटकीं


नई दिल्ली की सुबह उस दिन जैसे अपने ही सिस्टम पर ठिठक गई थी—7 नवंबर 2025। इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट (IGI) के दिल में धड़कने वाली तकनीक अचानक लड़खड़ा गई। एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) का ऑटोमैटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम (AMSS) जरा-सी खरोंच नहीं, बल्कि गहरी छेड़छाड़ का शिकार बना। यह वही सिस्टम है, जो हर उड़ान को दिशा, रूट, अपडेट और चेतावनियां भेजता है—एक अदृश्य धागा, जिसके सहारे आसमान में दर्जनों जहाज़ एक-दूसरे से सुरक्षित दूरी बनाए उड़ते हैं।

केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री किंजरापु राममोहन नायडू ने सोमवार को राज्यसभा में स्वीकार किया कि 7 नवंबर को AMSS से छेड़छाड़ हुई थी। यह सिर्फ एक तकनीकी खराबी नहीं थी—प्लेन को गलत सिग्नल भेजे गए थे, जिसे वैश्विक साइबर सुरक्षा भाषा में GPS स्पूफिंग कहा जाता है। उनकी स्वीकारोक्ति सदन में एक सिहरन छोड़ गई, मानो यह बताते हुए किसी ने आसमान की सुरक्षा में लगी महीन दरार दिखा दी हो।

12 घंटे ठहरा रहा आसमान, 800 फ्लाइट्स का सफर उथल-पुथल

सिस्टम में गड़बड़ी सुबह 9 बजे शुरू हुई और करीब 12 घंटे बाद रात 9:30 बजे जाकर सुधरी। इस दौरान 800 से ज्यादा घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों ने देरी का बोझ झेला, जबकि 20 उड़ानें रद्द हुईं। फ्लाइटरडार24 पर पूरे दिन औसतन 50 मिनट की देरी दर्ज हुई—और यह सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं रहा। मुंबई, भोपाल, चंडीगढ़, अमृतसर सहित देशभर के कई एयरपोर्ट IGI के साथ बंधी इसी तकनीकी नब्ज़ से जुड़े हैं। दिल्ली में देरी हुई तो वहां भी उड़ानों की सांसें धीमी पड़ गईं।

बोर्डिंग गेट के पास लंबी कतारें थीं, लोग अपने फोन पर लगातार एयरलाइन अपडेट खंगाल रहे थे, और एयरपोर्ट लाउंजों की हवा में बेचैनी की हल्की भनक तैर रही थी।

AMSS—एविएशन का नर्व सेंटर, जिसके बंद होते ही बढ़ जाती है धकधक

AMSS तकनीकी दुनिया का वह शांत संचालक है, जो हर दिन हजारों टेक्स्ट-बेस्ड मैसेज फ्लाइट्स, एयरलाइन और एयरपोर्ट्स तक पहुँचाता है। इसमें शामिल होता है—

फ्लाइट का पूरा रूट

कब उड़ान भरी

कब लैंड हुई

देरी या बदलाव की सूचना

मौसम अपडेट

एयरस्पेस चेतावनियां


एयरलाइन या पायलट यह प्लान सिस्टम में डालते हैं और AMSS इसे मंजूरी देकर ATC तक पहुंचाता है। यही सिंक्रोनाइज़ेशन आसमान को टकराव, भ्रम और खतरों से बचाता है।

लेकिन 7 नवंबर को मशीन की जगह अचानक मनुष्य ने कमान संभाली।

ATC में मौजूद एक अधिकारी ने बताया कि सिस्टम फेल होने के बाद पूरी प्रक्रिया फिर पुराने ‘मैन्युअल मोड’ पर चली गई—एक-एक फ्लाइट प्लान हाथ से लिया गया, जांचा गया, और मंजूरी दी गई। इस धीमे लय ने पूरे ऑपरेशन को जाम कर दिया।

साइबर खतरे का साया बड़ा हो रहा है

केंद्रीय मंत्री नायडू ने सदन में बताया कि वैश्विक स्तर पर रैनसमवेयर और मैलवेयर अटैक का खतरा बढ़ा है। उन्होंने कहा कि एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) अपने IT सिस्टम और क्रिटिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर की सुरक्षा के लिए एडवांस साइबर सिक्योरिटी अपना रहा है।

सांसद एस. निरंजन रेड्डी के प्रश्न पर उन्होंने यह स्पष्ट किया कि सरकार को GPS स्पूफिंग की जानकारी है, और DGCA तथा AAI इस तरह की घटनाओं से बचाव के लिए नई रणनीतियों पर काम कर रहे हैं।

यह सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि एयरपोर्ट ऑपरेशंस अब सिर्फ रनवे और कंट्रोल टावर का खेल नहीं रह गए—यह साइबर सुरक्षा की दुनिया भी बन चुके हैं, जहां एक छोटी-सी डिजिटल गड़बड़ भी हजारों यात्रियों को प्रभावित कर सकती है।

7 नवंबर की घटना: अंदर की कहानी

गुरुवार शाम को ही कुछ शिकायतें सामने आई थीं, लेकिन शुक्रवार सुबह सिस्टम ने पूरी तरह जवाब दे दिया। AAI ने देर शाम 8:45 बजे बताया कि AMSS को ठीक कर लिया गया है। दिनभर चली हलचल के बाद रात में ही उड़ानों का संचालन सामान्य मोड में लौटा।

उधर, नागरिक उड्डयन मंत्री खुद ATC टावर पहुंचे, तकनीकी टीम से चर्चा की और ऑपरेशन की समीक्षा की।

AMSS फेल होने के परिणाम—कागज़, पेन और बढ़ता जोखिम

सिस्टम फेलियर ने दिखाया कि तकनीक रुकती है तो पूरा एविएशन नेटवर्क एक भारी सांस लेकर ठहर जाता है—

ऑटोमेटिक संदेश बंद: हर अपडेट और मैसेज इंसानों को खुद भेजना पड़ा

ATC पर बोझ: एक छोटे गलत निर्णय की भी कीमत भारी हो सकती है

भीड़ और देरी: हर अतिरिक्त मिनट ने कतारें और बढ़ाईं

सुरक्षा पर खतरा: सिंक्रोनाइज़ेशन टूटने से human error की संभावना बढ़ गई


यह घटना सिर्फ एक सिस्टम क्रैश नहीं थी—यह एक चेतावनी थी कि तकनीकी निर्भरता जितनी मददगार है, उतनी ही कमजोर भी।

दुनिया में भी हो चुके हैं बड़े एयरपोर्ट सिस्टम फेलियर

जुलाई 2024 — क्राउडस्ट्राइक आउटेज: वैश्विक स्तर पर 7,000 उड़ानें रद्द, 13 लाख यात्री प्रभावित

अगस्त 2023 — यूके ATC फेलियर: 600+ उड़ानें ठप, 7 लाख यात्री प्रभावित

2016 — डेल्टा डेटा सेंटर क्रैश: 2,100 उड़ानें प्रभावित, 90,000 यात्री फंसे


दिल्ली की यह घटना भी उसी सूची में जुड़ गई—जब तकनीक की एक चूक आसमान के विशाल ट्रैफिक को ठहरा देती है।

निष्कर्ष

दिल्ली एयरपोर्ट का यह फेलियर साफ संकेत देता है कि भारत की एविएशन प्रणाली को अब साइबर सुरक्षा की ओर और तीखा ध्यान देना होगा। जहां हजारों यात्रियों की सुरक्षा और असंख्य उड़ानों का भविष्य जुड़ा है, वहां एक छोटी सी डिजिटल छाया भी बड़े तूफान की शुरुआत बन सकती है।

AAI और DGCA की चुनौतियाँ अब सिर्फ रनवे पर नहीं, बल्कि उस अदृश्य डिजिटल आसमान में भी हैं, जो उड़ानों के पंखों के नीचे लगातार बहता रहता है।


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