होक्काइडो में 7.6 तीव्रता का भूकंप, तटीय क्षेत्रों में सुनामी अलर्ट; पिछले एक महीने में दूसरा बड़ा झटका
टोक्यो/होक्काइडो। जापान के उत्तरी द्वीप होक्काइडो में सोमवार शाम आए 7.6 तीव्रता के तेज भूकंप ने पूरे क्षेत्र में दहशत फैला दी। शक्तिशाली झटकों के तुरंत बाद प्रशासन ने तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लाखों लोगों के लिए सुनामी की चेतावनी जारी की। भूकंप स्थानीय समय अनुसार 8 दिसंबर शाम 7:45 बजे आया। अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के अनुसार इसका केंद्र महासागर में 32 मील (लगभग 51 किमी) की गहराई पर था।
भूकंप का एपिसेंटर होक्काइडो के पूर्वी तट से सटे क्षेत्र में 41°N अक्षांश और 142.3°E देशांतर पर स्थित था। झटकों की तीव्रता इतनी अधिक थी कि इमारतें हिल गईं और कई शहरों में लोग अपने घरों और दफ्तरों से बाहर निकल आए। जापान मौसम विज्ञान एजेंसी (JMA) ने कहा कि कुछ इलाकों में झटकों की तीव्रता “ऊपरी 5” तक महसूस की गई, जो जापान के पैमाने पर काफी ज्यादा मानी जाती है।
भूकंप के बाद सुनामी अलर्ट—1 मीटर तक ऊंची लहरों की आशंका
भूकंप के तुरंत बाद JMA ने उत्तरी समुद्री तटों पर रहने वालों को सतर्क किया और बताया कि सुनामी की लहरें 1 मीटर (3 फीट) तक ऊंची हो सकती हैं।
सरकार ने:
- तटीय इलाकों में सायरन बजाए
- स्थानीय ट्रेनों को रोक दिया
- तटीय सड़कों पर यातायात नियंत्रित किया
- मछली पकड़ने वाली नौकाओं को सुरक्षित स्थान पर जाने का निर्देश दिया
हालांकि राहत की बात यह रही कि कुछ ही देर बाद तटीय मॉनिटरिंग स्टेशनों पर जो लहरें रिकॉर्ड की गईं, वे 10–20 सेंटीमीटर (4–8 इंच) की थीं।
इन लहरों को निम्न स्थानों पर मापा गया:
- ओफुनाटो
- मियाको
- कामाइशी
- ओमिनाटो
- कुजी
लगभग तीन घंटे बाद सुनामी चेतावनी को हटा लिया गया, लेकिन अधिकारियों ने लोगों से सतर्क रहने की अपील की, क्योंकि बड़े भूकंप के बाद कई दिनों तक आफ्टरशॉक्स आते रहते हैं।
होक्काइडो में आपात बैठक, लेकिन गंभीर नुकसान की खबर नहीं
अब तक की रिपोर्टों के अनुसार:
- किसी तरह के बड़े नुकसान की सूचना नहीं
- किसी के घायल होने की पुष्टि नहीं
- न्यूक्लियर पावर प्लांट सुरक्षित बताए गए
- बिजली और जलापूर्ति सामान्य
होक्काइडो प्रशासन ने आपात बैठक बुलाई और बुनियादी ढांचे का निरीक्षण कराया। जापान में मौजूद कई न्यूक्लियर सुविधाओं पर विशेष निगरानी रखी गई, क्योंकि 2011 के फुकुशिमा हादसे के बाद जापान किसी भी जोखिम को हल्के में नहीं लेता।
एक महीने में दूसरा बड़ा झटका—9 नवंबर को भी आया था शक्तिशाली भूकंप
8 दिसंबर के भूकंप से पहले भी 9 नवंबर 2025 को उत्तरी जापान में एक तीव्र भूकंप आया था। वह भूकंप:
- शाम 5:03 बजे आया
- तीव्रता 6.9 मापी गई
- केंद्र इवाते प्रांत के नजदीक था
- गहराई 20 किलोमीटर (12 मील) थी
उस समय भी सुनामी की प्रारंभिक चेतावनी जारी की गई थी, जिसे थोड़ी देर बाद हटा लिया गया। नवंबर वाले भूकंप के बाद कई आफ्टरशॉक्स आए थे, जो लगभग एक सप्ताह तक महसूस किए गए। वर्तमान भूकंप के बाद भी होक्काइडो और इवाते के कई हिस्सों में हल्के झटके महसूस किए गए हैं।
विशेषज्ञों की चेतावनी—आने वाले दिनों में और झटके संभव
जापान मौसम विज्ञान एजेंसी के भूकंप वैज्ञानिकों का कहना है कि 7.6 जैसे शक्तिशाली भूकंप के बाद:
- 48 घंटे तक तेज आफ्टरशॉक्स आने की संभावना रहती है
- छोटे झटके कई बार सिस्टम को प्रभावित कर सकते हैं
- तटीय इलाकों को विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए
- समुद्र में अचानक स्तर बढ़ने पर निगरानी जरूरी होगी
वैज्ञानिकों ने बताया कि जापान जिस क्षेत्र में स्थित है, वहीं दुनिया के करीब 20–25% बड़े भूकंप आते हैं।
जापान का संवेदनशील भूगोल—क्यों आती हैं यहां इतनी बार भूकंप?
जापान विश्व के सबसे भूकंप-संवेदनशील क्षेत्रों में आता है। वह पैसिफिक रिंग ऑफ फायर पर स्थित है—यह वह जगह है, जहां भूगर्भीय प्लेटें एक-दूसरे से टकराती या खिसकती हैं।
इस ज़ोन में:
- बेहद सक्रिय ज्वालामुखी
- बार-बार होने वाली टेक्टोनिक गतिविधियां
- समुद्री खाईयां (ओशनिक ट्रेंच)
- सबडक्शन ज़ोन (एक प्लेट का दूसरी के नीचे जाना)
इन्हीं कारणों से जापान में लगभग हर दिन छोटे-मोटे झटके महसूस किए जाते हैं।
2011 का फुकुशिमा भूकंप और सुनामी इस क्षेत्र का सबसे बड़ा उदाहरण है, जिसमें:
- 9.0 तीव्रता का भूकंप
- 40 मीटर ऊंची सुनामी
- 18,000 से अधिक मौतें
- और एक बड़े न्यूक्लियर हादसे
दर्ज किया गया था। इसी इतिहास के चलते जापान प्रशासन किसी भी चेतावनी को तुरंत गंभीरता से लेता है।
स्थानीय लोगों में दहशत, लेकिन व्यवस्थित प्रतिक्रिया ने रोका नुकसान
सोमवार के भूकंप के बाद सोशल मीडिया पर वीडियो सामने आए, जिसमें:
- शॉपिंग मॉल की छतें हिलती दिखीं
- अलमारियों से सामान गिरने लगा
- स्टेशन पर यात्री सुरक्षित बाहर भागते नजर आए
- कई शहरों में सायरन बजते सुने गए
हालांकि जापान की आपदा प्रबंधन प्रणाली दुनिया में सबसे उन्नत मानी जाती है।
लोगों को:
- घरों से बाहर खुली जगह पर जाने
- ऊंचे क्षेत्रों में जाने
- समुद्र तटों से दूर रहने
- रेडियो और मोबाइल के आपदा अलर्ट पर ध्यान देने
जैसे निर्देश दिए गए।
सरकार की अपील—“अफवाहों पर ध्यान न दें”
जापानी प्रधानमंत्री कार्यालय ने ट्वीट कर कहा:
“देश के सभी तटीय क्षेत्रों की निगरानी की जा रही है। अफवाहों पर ध्यान न दें। आधिकारिक एजेंसियों की चेतावनियों का पालन करें।”
सरकार ने यह भी कहा कि वर्तमान भूकंप से:
- परिवहन व्यवस्था
- बिजली लाइनें
- एयरपोर्ट
- समुद्री बंदरगाह
सामान्य रूप से काम कर रहे हैं।
आने वाले घंटों में नजर पैसिफिक तट पर
वैज्ञानिकों के अनुसार बड़े भूकंप के बाद अक्सर:
- समुद्री दबाव में उतार-चढ़ाव
- प्लेटों में हलचल
- छोटे झटके
- समुद्री लहरों में बदलाव
देखे जाते हैं। इस कारण प्रशासन आने वाले 24–48 घंटों तक विशेष निगरानी रख रहा है।
निष्कर्ष
सोमवार शाम होक्काइडो में आया 7.6 तीव्रता का भूकंप एक बार फिर यह याद दिला गया है कि जापान भूकंपीय खतरे के मामले में दुनिया के सबसे संवेदनशील देशों में से एक है। हालांकि प्रशासन की त्वरित कार्रवाई, मजबूत इन्फ्रास्ट्रक्चर और लोगों की जागरूकता के कारण किसी बड़े नुकसान या जनहानि की खबर नहीं है।
लेकिन पिछले एक महीने में दो बड़े भूकंपों ने विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है। आने वाले दिनों में छोटे झटकों की संभावना बनी हुई है और सरकार सतर्क है।