नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में रिकॉर्ड प्रदर्शन के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अब अपना पूरा ध्यान पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल पर केंद्रित कर दिया है, जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। बिहार में 89 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद भाजपा राजनीतिक रूप से मज़बूत हुई है और इस ऊर्जा को अब बंगाल विजय के लिए इस्तेमाल करना चाहती है।
2021 में भाजपा हिन्दुत्व की लहर पर सवार होकर बंगाल में सत्ता का सपना देख रही थी, लेकिन ममता बनर्जी ने चुनाव को बंगाली अस्मिता बनाम “बाहरी” के मुद्दे पर केंद्रित कर बाजी पलट दी थी। तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने न केवल सत्ता बरकरार रखी, बल्कि लगातार तीसरी बार सरकार बनाकर बड़ा राजनीतिक संदेश दिया। हालांकि भाजपा उस हार को भूल नहीं पाई है और अब 2026 के चुनाव को निर्णायक मान रही है।
बिहार जीत के बाद PM मोदी का संदेश
बिहार में जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में स्पष्ट कहा था कि “यह जीत बंगाल में BJP की जीत का रास्ता बना रही है। राज्य के लोग भरोसा रखें, हम वहां भी जंगलराज खत्म करेंगे।” उनके इस बयान को बंगाल चुनाव में भाजपा के आक्रामक रुख का संकेत माना जा रहा है।
BJP की 10-सूत्री रणनीति
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार भाजपा बंगाल चुनाव में 10 प्रमुख मुद्दों को अभियान का आधार बनाएगी—
कानून-व्यवस्था, भ्रष्टाचार, अवैध घुसपैठ, राष्ट्रीय सुरक्षा, लोकतांत्रिक व्यवस्था में हस्तक्षेप, और बंगाली अस्मिता जैसे मुद्दे इनमें शामिल हैं। पार्टी इन विषयों को गांव-गांव तक पहुंचाने की तैयारी कर रही है।
संगठन पर फोकस
चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव हर सप्ताह कोलकाता में कोर टीम के साथ बैठक कर रणनीति बना रहे हैं। भाजपा ने राज्य के 80,000 बूथों पर संगठन मजबूत करने की ज़िम्मेदारी दी है। पार्टी की सबसे बड़ी चुनौती अब भी “बाहरी” छवि को तोड़ना है।
इस बार भाजपा श्यामा प्रसाद मुखर्जी की विरासत को सामने रखकर बंगाली संस्कृति से जुड़ने की कोशिश कर रही है। यानी बंगाल में लड़ाई फिर वही—अस्मिता बनाम बदलाव की राजनीति—काफी दिलचस्प होने वाली है।
