नई दिल्ली/वॉशिंगटन। भारतीय प्रवासी अमेरिका की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं। भारतीय मूल के नागरिक अमेरिका में न केवल बड़ी संख्या में बसे हुए हैं, बल्कि वे वहां के सबसे अधिक कमाई करने वाले और टैक्स देने वाले नागरिकों में भी शामिल हैं। फोर्ब्स की एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के 125 सबसे अमीर लोगों में 12 भारतीय मूल के अरबपति शामिल हैं।
अमेरिका में फिलहाल लगभग 51 लाख भारतीय-अमेरिकन रहते हैं। इनकी औसत आय और टैक्स योगदान अमेरिका की मुख्यधारा से भी अधिक है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय-अमेरिकन हर साल अमेरिका को लगभग ₹25 लाख करोड़ (करीब 300 अरब डॉलर) का टैक्स देते हैं। यह अमेरिका के कुल टैक्स संग्रह का 5 से 6 प्रतिशत है, जो किसी भी एक प्रवासी समुदाय द्वारा दिया गया सबसे बड़ा योगदान माना जा रहा है।
सबसे अमीर भारतीय-अमेरिकन हैं जय चौधरी, जिनकी नेटवर्थ करीब ₹1.5 लाख करोड़ (18 अरब डॉलर) है। वे साइबर सुरक्षा कंपनी Zscaler के संस्थापक और CEO हैं। इनके अलावा विनोद खोसला (Khosla Ventures), नवल रविकांत, और सुंदर पिचाई (Google CEO) जैसे कई नाम भी अमेरिकी कॉर्पोरेट जगत में अग्रणी हैं।
क्यों खास हैं भारतीय-अमेरिकन?
शिक्षा और तकनीक में आगे: अधिकतर भारतीय-अमेरिकन आईटी, इंजीनियरिंग, मेडिकल और रिसर्च क्षेत्र में अग्रणी हैं।
उद्यमिता में मजबूत पकड़: हजारों स्टार्टअप और कंपनियों में भारतीय मूल के लोगों की भागीदारी है।
राजनीति और प्रशासन में मौजूदगी: अमेरिकी संसद से लेकर वाइट हाउस तक भारतीय-अमेरिकन की अहम भूमिका बढ़ रही है।
विशेषज्ञों की राय:
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि भारतीयों की मेहनत, उच्च शिक्षा और आर्थिक समझदारी ने उन्हें अमेरिका में सिर्फ समृद्ध ही नहीं, बल्कि प्रभावशाली भी बनाया है।
"भारतीय-अमेरिकन अमेरिका के आर्थिक इंजन को गति दे रहे हैं। वे अब केवल प्रवासी नहीं, बल्कि अमेरिका के भविष्य निर्माणकर्ता हैं,"
— अमेरिका-भारत नीति विश्लेषक
निष्कर्ष:
भारतीय-अमेरिकन समुदाय न सिर्फ अमेरिका को अमीर बना रहा है, बल्कि भारत की छवि को भी वैश्विक मंच पर गौरवान्वित कर रहा है। अमेरिका में बसे भारतीय आज वहां की आर्थिक, सामाजिक और तकनीकी संरचना का एक अनिवार्य हिस्सा बन चुके हैं।