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अरवल में एससी-एसटी अत्याचार मामलों को लेकर प्रशासन सख्त, लंबित मुआवजा भुगतान पर दिए गए त्वरित कार्रवाई के निर्देश

अरवल। जिले में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति से जुड़े अत्याचार मामलों की समीक्षा को लेकर जिला प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। शुक्रवार को जिला पदाधिकारी श्रीमती अम्रीषा बैस की अध्यक्षता में जिला स्तरीय सतर्कता एवं अनुश्रवण समिति की अहम बैठक आयोजित की गई।

बैठक में एससी-एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के अंतर्गत दर्ज मामलों की गहन समीक्षा की गई। इस दौरान लंबित मामलों में पीड़ितों को मिलने वाले मुआवजे के भुगतान में हो रही देरी पर नाराजगी जताते हुए जिला पदाधिकारी ने संबंधित अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि लंबित मामलों का समयबद्ध निष्पादन सुनिश्चित किया जाए।

डीएम ने कहा कि कानून का प्रभावी क्रियान्वयन केवल कागजों तक सीमित न रहे, बल्कि पीड़ितों को इसका वास्तविक लाभ समय पर मिलना चाहिए। उन्होंने उपस्थित अधिकारियों को अधिनियम के प्रावधानों को गंभीरता से लागू करने और किसी भी स्तर पर लापरवाही न बरतने के निर्देश दिए।

इसके साथ ही मैनुअल स्कैवेंजर्स रोजगार निषेध एवं पुनर्वास अधिनियम 2013 के तहत भी समीक्षा की गई। डीएम ने शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में भी व्यापक सर्वे कराए जाने का निर्देश दिया, ताकि कहीं भी प्रतिबंधित कार्य प्रथा शेष न रह जाए और जरूरतमंदों का पुनर्वास सुनिश्चित किया जा सके।

बैठक में माननीय सांसद एवं विधायक के प्रतिनिधियों के अलावा उप विकास आयुक्त, पुलिस उपाधीक्षक (मुख्यालय), जिला कल्याण पदाधिकारी, नोडल पुलिस पदाधिकारी सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

प्रशासन की इस सक्रियता से जिले में एससी-एसटी समुदाय के मामलों में न्याय प्रक्रिया को गति मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

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