शेयर मार्केट क्रैश: ट्रंप के नए टैरिफ संकेत से भारतीय बाजार में हाहाकार, 6 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की पूंजी डूबी — दो दिनों में निवेशकों को 13 लाख करोड़ का नुकसान
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत के चावल पर नया टैरिफ लगाने के संकेत ने मंगलवार को भारतीय शेयर बाजार को गहरे संकट में धकेल दिया। बाज़ार पहले से ही वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं, फेडरल रिजर्व की संभावित सख्त नीति, विदेशी निवेशकों की मुनाफावसूली और रुपए में कमजोरी के दबाव में था। ऐसे माहौल में ‘टैरिफ टेरर’ ने निवेशकों का भरोसा और कमजोर कर दिया, जिसका सीधा असर आज के बाजार में देखने को मिला। सेंसेक्स 700 से अधिक अंक तक गिरा, जबकि निफ्टी में भी 230 से अधिक अंकों की भारी गिरावट देखी गई। केवल एक दिन में निवेशकों की संपत्ति 6 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा घट गई, जबकि पिछले दो दिनों में यह नुकसान 13 लाख करोड़ रुपए के स्तर को पार कर गया।
🔻 लाल निशान में खुले भारतीय बाजार, सभी सेक्टर में बिकवाली हावी
मंगलवार की सुबह से ही भारतीय बाजार दबाव में नजर आए। शुरुआती कारोबार में ही निफ्टी ऑटो, आईटी, पीएसयू बैंक, फाइनेंशियल सर्विसेज, फ़ार्मा, FMCG और मेटल सेक्टर में भारी बिकवाली देखने को मिली। बाजार खुलते ही सेंसेक्स 500 से अधिक अंक टूटा और कुछ ही देर में गिरावट और बढ़ गई।
सुबह 9:31 बजे के आंकड़े इस प्रकार रहे—
- सेंसेक्स: 577.81 अंक की गिरावट के साथ 84,524.88
- निफ्टी: 191.15 अंक की गिरावट के साथ 25,769
- निफ्टी बैंक: 225.30 अंक की गिरावट के साथ 59,013.25
- निफ्टी मिडकैप 100: 0.83% गिरकर 58,992.55
- निफ्टी स्मॉलकैप 100: 0.88% गिरकर 16,902.35
बाजार के सभी प्रमुख सेगमेंट में कमजोरी देखने को मिली, खासकर मिडकैप और स्मॉलकैप में तेज गिरावट ने निवेशकों को बड़ा झटका दिया।
📉 क्यों टूटा बाजार? वजहें एक नहीं, कई हैं
1. ट्रंप के नए टैरिफ का खतरा
अमेरिका द्वारा भारत के चावल पर टैरिफ बढ़ाने के संकेत ने बाजार को हिलाकर रख दिया। माना जा रहा है कि यदि यह टैरिफ लागू होता है तो भारत के कृषि निर्यात और ट्रेड बैलेंस पर इसका नकारात्मक असर पड़ सकता है।
2. ट्रेड डील में देरी
भारत-अमेरिका के बीच चल रही संभावित व्यापार वार्ता में देरी ने भी अनिश्चितता बढ़ाई है।
3. FII की भारी बिकवाली
विदेशी संस्थागत निवेशक लगातार भारतीय बाजार से पैसा निकाल रहे हैं। 8 दिसंबर को FII ने 655.59 करोड़ रुपए के शेयर बेचे। वैश्विक बाजारों में मंदी के डर से वे सुरक्षित एसेट की ओर जा रहे हैं।
4. रुपये में कमजोरी
भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर हो रहा है, जिससे आयात महंगा हो रहा है और महंगाई बढ़ने का खतरा है।
5. फेडरल रिजर्व बैठक की चिंता
फेडरल रिजर्व की आगामी नीति बैठक से निवेशक आशंकित हैं कि ब्याज दरों पर कड़ा रुख अपनाया जा सकता है।
📛 कौन से स्टॉक पिटे, कौन चमके?
🔻 टॉप लूजर्स (Sensex Pack)
- एशियन पेंट्स
- इटरनल
- ट्रेंट
- टेक महिंद्रा
- BEL
- टाटा स्टील
- TCS
- M&M
- अल्ट्राटेक सीमेंट
- TMPV
- बजाज फिनसर्व
- इंफोसिस
इन दिग्गज कंपनियों में 2% से 5% तक की गिरावट देखी गई।
🔼 टॉप गेनर्स
- भारती एयरटेल
- हिंदुस्तान यूनिलीवर
- टाइटन
बाजार की भारी गिरावट के बावजूद इन कंपनियों में खरीदारी देखी गई, जिन्हें डिफेंसिव स्टॉक माना जाता है।
🌏 वैश्विक बाजारों का हाल: एशिया और अमेरिका में भी दबाव
एशियाई बाजारों में मिश्रित रुझान देखने को मिला।
- बैंकॉक और जापान हरे निशान में
- जकार्ता, सोल, चीन और हांगकांग लाल निशान में
अमेरिकी बाजार भी कमजोर बंद हुए—
- डाउ जोंस: 215.67 अंक गिरावट
- S&P 500: 23.89 अंक गिरावट
- नैस्डेक: 32.22 अंक गिरावट
अमेरिकी बाजारों की कमजोरी का सीधा असर एशियाई बाजारों पर भी दिखा।
🧾 क्या कहती है मार्केट की एक्सपर्ट टिप्पणी?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट कुछ और दिनों तक जारी रह सकती है। हालांकि, वे यह भी कहते हैं कि—
- यह स्थिति लंबे समय के निवेशकों के लिए गुणवत्तापूर्ण शेयरों को सस्ते में खरीदने का सुनहरा मौका भी है।
- मिडकैप और स्मॉलकैप स्पेस में करेक्शन के बाद बड़ी रैली देखने की उम्मीद जताई जा रही है।
- डिफेंस सेक्टर के स्टॉक अच्छी वैल्यू पर मिल रहे हैं, जिनमें आगे अच्छा प्रदर्शन करने की क्षमता है।
💡 निवेशकों के लिए सलाह
- घबराहट में शेयर बेचने से बचें।
- लॉन्ग-टर्म नजरिया रखकर ही निवेश रणनीति बनाएं।
- ब्लूचिप और डिफेंसिव स्टॉक्स पर नजर रखें।
- मिडकैप में करेक्शन के बाद खरीदारी के मौके मिल सकते हैं।
- किसी भी बड़ी खरीदारी से पहले वित्तीय सलाह जरूर लें।
📌 निष्कर्ष
अमेरिका की व्यापार नीति और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं ने भारतीय बाजार पर भारी दबाव बना दिया है। दो दिनों में 13 लाख करोड़ रुपए की डूबती संपत्ति ने निवेशकों को चिंतित कर दिया है। हालांकि, यह गिरावट हमेशा के लिए नहीं है। बाजार विशेषज्ञों के अनुसार जैसे-जैसे वैश्विक माहौल स्थिर होगा, भारतीय शेयर बाजार फिर से मजबूत रिकवरी कर सकता है।
फिलहाल निवेशकों के लिए सतर्कता जरूरी है—लेकिन घबराहट बिलकुल नहीं।