अरवल से बड़ी खबर: धान अधिप्राप्ति में सुस्ती, कई प्रखंडों में बेहद कम खरीद — पैक्स और व्यापार मंडल अध्यक्षों ने बताई बड़ी समस्याएँ
"अरवल से बड़ी खबर: धान अधिप्राप्ति में सुस्ती, कई प्रखंडों में बेहद कम खरीद — पैक्स और व्यापार मंडल अध्यक्षों ने बताई बड़ी समस्याएँ"
अरवल। बिहार में 15 नवम्बर 2025 से धान अधिप्राप्ति की सरकारी खरीद शुरू हो गई है, लेकिन अरवल जिले में इस प्रक्रिया की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। जिला सहकारिता पदाधिकारी सुश्री आकांक्षा ने बताया कि जिले के विभिन्न पैक्स और व्यापार मंडल अध्यक्षों द्वारा धान की खरीद तो की जा रही है, पर औसत खरीद अब भी अपेक्षा से काफी कम है।
जिले के प्रखंडवार खरीद आंकड़े इस प्रकार हैं—
- अरवल: 86.5%
- कलेर: 47.8%
- करपी: 118.6%
- कुरथा: 7%
- सोनभद्र: 59.5%
कुल मिलाकर अब तक 319.4 मीट्रिक टन धान की खरीद हुई है, जो जिले की क्षमता और लक्ष्य के हिसाब से अत्यंत कम मानी जा रही है।
खेतों में नमी बनी बड़ी बाधा
जिला सहकारिता पदाधिकारी ने बताया कि इस समय खेतों में अधिक नमी रहने के कारण किसानों को धान सुखाने में कठिनाई आ रही है। इसका सीधा असर खरीद प्रक्रिया पर पड़ रहा है और पैक्स व व्यापार मंडल अध्यक्षों की कार्यक्षमता पर भी इसका प्रभाव देखा जा रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि पूरे जिले में अभी मात्र 25 क्रियाशील सोसायटी ही खरीद कार्य कर रही हैं, जिससे दबाव और भी बढ़ गया है। साथ ही जिले में मिलों की जांच प्रक्रिया भी जारी है, जिसके पूरे होने के बाद कई administrative अवरोध दूर होने की उम्मीद है।
"CMR की राशि अब तक नहीं मिली" — पैक्स व व्यापार मंडल अध्यक्षों की शिकायत
इधर पैक्स और व्यापार मंडल अध्यक्षों से मिल रही जानकारी स्थिति को और गंभीर बनाती है। उनका कहना है कि SFC में चावल जमा करने के बाद भी अब तक CMR (सेंट्रल मिल्ड राइस) की राशि का भुगतान नहीं हुआ है, जबकि चालू वर्ष 2025-26 की अधिप्राप्ति प्रक्रिया शुरू हुए कई दिन बीत चुके हैं।
बकाया भुगतान के कारण कई सोसायटियों की आर्थिक स्थिति डगमगा गई है, और कई जगहों पर धान खरीदने के लिए आवश्यक धनराशि जुटाना मुश्किल हो रहा है।
"C.C. अकाउंट नहीं खुला, मजबूरी में ब्याज देकर खरीद रहे हैं धान"
कुछ पैक्स और व्यापार मंडल अध्यक्षों ने बताया कि कई सोसायटियों का अब तक सहकारी बैंक में C.C. अकाउंट (कैश क्रेडिट अकाउंट) भी नहीं खुला है।
इस कारण उन्हें निजी स्तर पर धन जुटाना पड़ रहा है और ब्याज देकर धान खरीदना पड़ रहा है, जिससे आर्थिक बोझ और बढ़ गया है।
किसानों में चिंता, प्रशासन पर बढ़ा दबाव
धान अधिप्राप्ति में आई सुस्ती का सीधा असर किसानों पर पड़ रहा है। कई किसान अपने धान की बिक्री के लिए केंद्रों के चक्कर काट रहे हैं लेकिन खरीद अपेक्षित गति से नहीं हो रही।
इधर सहकारिता विभाग ने संकेत दिया है कि आने वाले दिनों में सोसायटियों की संख्या बढ़ाने, मिलों की जांच प्रक्रिया तेज करने और भुगतान की समस्या सुलझाने पर काम किया जाएगा, ताकि धान क्रय प्रक्रिया सामान्य गति पकड़ सके।
कुल मिलाकर अरवल जिले में धान अधिप्राप्ति की स्थिति इस समय चुनौतीपूर्ण है। नमी, भुगतान में देरी, बैंकिंग बाधाएं और सक्रिय सोसायटी की कमी बड़े कारण बनकर सामने आए हैं। जिले के किसानों और पैक्स अध्यक्षों को उम्मीद है कि विभाग जल्द समाधान लाएगा, ताकि खरीद प्रक्रिया पटरी पर लौट सके।