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बिहार में एक्सप्रेसवे को मिलेगी रफ्तार, ‘यूपी मॉडल’ पर बन सकते हैं पांच बड़े प्रोजेक्ट

पटना। बिहार में सड़क कनेक्टिविटी को नई रफ्तार देने की तैयारी अब जमीन पर उतरती दिख रही है। राज्य में प्रस्तावित पांच एक्सप्रेसवे को लेकर लंबे समय से चली आ रही चर्चाओं के बीच अब काम में तेजी आने के संकेत मिले हैं। सरकार निजी भागीदारी (PPP मॉडल) के जरिए इन एक्सप्रेसवे का निर्माण कराना चाहती है और इसी क्रम में ‘यूपी मॉडल’ को अपनाने पर गंभीर मंथन चल रहा है।

सूत्रों के मुताबिक, बिहार सरकार इस बात पर विचार कर रही है कि उत्तर प्रदेश की तरह एक अलग एक्सप्रेसवे प्राधिकरण का गठन किया जाए, जिससे परियोजनाओं के लिए फंडिंग और निर्माण प्रक्रिया आसान हो सके।

कैबिनेट से मिल चुकी है हरी झंडी

इससे पहले बिहार कैबिनेट की बैठक में सात निश्चय-3 को लागू करने का फैसला लिया गया था। इसी बैठक में राज्य में बनने वाले एक्सप्रेसवे पर भी विस्तार से चर्चा हुई थी। सरकार ने इन सभी परियोजनाओं को 2030 तक पूरा करने का लक्ष्य तय किया है। पथ निर्माण विभाग की ओर से इसको लेकर उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक भी हो चुकी है, जिसमें टाइमलाइन और फंडिंग मॉडल पर मंथन किया गया।

देश और राज्यों में एक्सप्रेसवे की स्थिति

जानकारी के अनुसार, देश में फिलहाल कुल 9 नेशनल एक्सप्रेसवे हैं, जिनमें बिहार का पटना-पूर्णिया एक्सप्रेसवे भी शामिल है। नेशनल एक्सप्रेसवे होने के कारण इसके निर्माण पर होने वाला खर्च केंद्र सरकार वहन करती है।
वहीं, राज्य सरकार द्वारा बनाए जाने वाले एक्सप्रेसवे को स्टेट एक्सप्रेसवे का दर्जा मिलता है। उत्तर प्रदेश की बात करें तो वहां 14 से अधिक स्टेट एक्सप्रेसवे हैं, जिनमें कई चालू हो चुके हैं और कई पर निर्माण कार्य तेजी से जारी है।

क्या है ‘यूपी मॉडल’?

‘यूपी मॉडल’ के तहत उत्तर प्रदेश सरकार ने यूपी एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण का गठन किया है। इस मॉडल में सरकार सीधे पैसा खर्च करने के बजाय गारंटर की भूमिका निभाती है।
सरकारी गारंटी के चलते वित्तीय संस्थानों से आसानी से लोन मिल जाता है। इसके बाद नेशनल हाईवे की तर्ज पर टोल वसूली के जरिए लागत की भरपाई की जाती है। इससे सरकार पर सीधे वित्तीय बोझ नहीं पड़ता।
अब बिहार सरकार भी इसी रणनीति को अपनाने पर विचार कर रही है।

ये हैं बिहार के प्रस्तावित पांच एक्सप्रेसवे

बिहार में जिन पांच एक्सप्रेसवे की योजना है, उनमें शामिल हैं—

  • गोरखपुर–सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे
  • बक्सर–भागलपुर एक्सप्रेसवे
  • पटना–पूर्णिया एक्सप्रेसवे
  • वाराणसी–कोलकाता एक्सप्रेसवे
  • रक्सौल–हल्दिया एक्सप्रेसवे

लोगों और अर्थव्यवस्था को होगा सीधा फायदा

इन एक्सप्रेसवे के निर्माण से बिहार में न सिर्फ जिलों के बीच कनेक्टिविटी मजबूत होगी, बल्कि यात्रा का समय भी काफी कम हो जाएगा।
ग्रामीण और शहरी इलाकों को जोड़ने से रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। उद्योगों को बेहतर परिवहन सुविधा मिलेगी, जिससे निवेश बढ़ने की उम्मीद है। साथ ही व्यापार, पर्यटन और लॉजिस्टिक्स सेक्टर को भी बड़ा बढ़ावा मिल सकता है।

कुल मिलाकर, अगर ‘यूपी मॉडल’ पर बिहार में एक्सप्रेसवे बने, तो यह राज्य की तस्वीर और तकदीर बदलने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।

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