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2025 में चांदी की उड़ान: कीमतें लगभग दोगुनी, इंडस्ट्रियल डिमांड और सप्लाई क्राइसिस ने बनाया ‘सिल्वर स्टॉर्म’


साल 2025 चांदी के बाजार के लिए किसी उल्का-वर्षा जैसा साबित हुआ है—अचानक, तेज़ और चौंधिया देने वाला। साल की शुरुआत में जिसे सामान्य उतार-चढ़ाव माना जा रहा था, वह अब एक ऐतिहासिक रैली में बदल चुका है। सिल्वर की कीमतें लगभग दोगुनी हो चुकी हैं और यह वैश्विक कमोडिटी मार्केट में सबसे चमकदार धातु बनकर उभरी है।

हैरानी की बात यह है कि यह उछाल सोने से भी तेज है, जबकि सोना खुद रिकॉर्डों की अलमारी भरता जा रहा है।

सिल्वर की कीमत महीने-दर-महीने नए शिखर छूते हुए अब भारत में ₹160 प्रति ग्राम के आसपास ट्रेड कर रही है। सवाल अब यह है—क्या चांदी वाकई ₹190 प्रति ग्राम तक पहुंच सकती है? विशेषज्ञों का मानना है, अगर मौजूदा हालात ऐसे ही रहे, तो यह लक्ष्य किसी दूर के तारे जैसा नहीं।


चांदी की इस तेज़ रफ्तार के पीछे क्या ताकतें काम कर रही हैं?

1. इंडस्ट्रियल डिमांड में विस्फोट

जहां सोना निवेश का प्रतीक माना जाता है, वहीं चांदी आज के दौर की तकनीकों की रीढ़ बन चुकी है।

  • सोलर पैनल
  • इलेक्ट्रिक वाहन (EVs)
  • AI सर्वर और हाई-टेक इंफ्रास्ट्रक्चर

इन सभी में चांदी से बेहतर कंडक्टर नहीं। दुनिया ग्रीन एनर्जी की ओर इतनी तेज़ी से बढ़ रही है कि सिर्फ सोलर सेक्टर ने ही सिल्वर की मांग को नई परिभाषा दे दी है। 2025 में पहली बार चांदी की इंडस्ट्रियल मांग ने ऐतिहासिक स्तर छू लिया।

2. सप्लाई ढह गई — इन्वेंट्री लो लेवल पर

चांदी की वैश्विक सप्लाई में लगातार पाँच साल से कमी दर्ज की जा रही है।
लंदन की वॉल्ट्स में 2022 से 2025 तक इन्वेंट्री एक-तिहाई घट चुकी है।
अक्टूबर 2025 में स्थिति इतनी खराब हो गई कि चांदी को एक दिन के लिए उधार लेना भी सालाना 200% ब्याज जैसा खर्चा मांग रहा था।

स्टोनएक्स की विशेषज्ञ Rhona O’Connell कहती हैं, “लंदन में फिजिकल सिल्वर लगभग खत्म होने की कगार पर था।”
भारत में त्योहारों के दौरान चांदी की भारी खरीद—कुछ जगहों पर 85% तक बढ़ोतरी—ने अंतरराष्ट्रीय बाज़ार पर और दबाव डाला।

3. यह रैली 1980 जैसी सट्टेबाज़ी नहीं

विशेषज्ञों की राय में 2025 की रैली पूरी तरह स्ट्रक्चरल है।
चांदी आज केवल गहनों और छोटे निवेशकों की धातु नहीं, बल्कि भविष्य की टेक्नोलॉजी का स्तंभ बन चुकी है।
सोलर, EV और बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिफिकेशन ने इसे एक “लॉन्ग टर्म बुल मार्केट” में डाल दिया है।


ब्रोकरेज हाउस भी बेहद बुलिश

UBS जैसी ग्लोबल फर्मों का अनुमान है कि सिल्वर 2026 तक $60 प्रति औंस तक जा सकती है।
हिसाब कहता है:

  • 1 औंस = 28.35 ग्राम
  • $60/औंस = $2.12 प्रति ग्राम
  • डॉलर = ₹90 मानें → ₹190 प्रति ग्राम

यानी अभी भी 19% और बढ़ने की गुंजाइश


आगे क्या? क्या ₹190 का लक्ष्य संभव है?

विश्लेषकों की राय में हां—और यह सिर्फ अनुमान नहीं, एक मजबूत संभावना है।
इसके मुख्य कारण:

  • सोलर और EV सेक्टर की आक्रामक मांग
  • विश्वभर में स्टॉक्स का कम होना
  • निवेशकों का बढ़ता भरोसा
  • दिसंबर में संभावित फेड रेट कट, जो precious metals के लिए पॉजिटिव सिग्नल है

ये सभी संकेत बताते हैं कि चांदी की रैली अभी अगले फेज में प्रवेश कर रही है।


नतीजा: सिल्वर मार्केट में आने वाला समय और तेज़ चमक का हो सकता है

अगर मौजूदा इंडस्ट्रियल डिमांड और सप्लाई की कमी जारी रहती है, तो चांदी का ₹190 प्रति ग्राम पर पहुंचना लगभग पक्का माना जा रहा है।
2025 चांदी के इतिहास में एक मील का पत्थर बन चुका है—और संभव है कि असली चमक अभी बाकी हो।

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